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इंदौरी तड़का : बड़े भोत दिन से कहीं पे दावत नी मिल री है

indori tadka bhiyaa bhot din se daawat ni mil ri hai

Indori Tadka : हाँ बड़े भोत दिन हो गए खिन पे कोई बुला ही नी रा है खाने को। कोई ऐसा है ही ना जिसके यहाँ दावत मिल जाए। बड़े कोई बुला ही नी रा है आजकल खाने को। सब अपने में ही मग्न है कोई केता बी नी है की आओ कबि खाने पे। आजकल तो बस सभी यहीं केते नजर आते है आओ कबि हवेली पे। भिया समझाओ उनको की कबि खाने पे बुलाए तो मजा बी आए क्या बार बार हवेली पे बुलाते रेते है। भिया कोई ऐसा बी नी है की शादी ही कर ले कम से कम खाने को तो मिलेगा। बावा को शादी नी करता, ना ही कोई मरता है की नुक्ता ही खाने को मिल जाए। अपन को तो बस खाने से मतलब है बाकी सब गए भाड़ में अपने को कोई नी जानना। बड़े कसम से यहाँ के लोगो को बस खाना ही दिखता है और कुछ ना। खाना दे दो और सोने दे दो बाकी कुछ इनको चिए ही ना और मोबाइल बी दे दोगे तो दिक्क्त ना होगी।

भिया यहाँ के लोगो को सबसे ज्यादा लगाव बस खाने से ही तो है पोहे, जलेबी, कचोरी, समोसे, दाल बाटी, पुलाव, पाँव भाजी यहीं सब यहाँ के लोगो की ज़िंदगी है उनको यहीं सबसे ज्यादा पसंद आता है। बड़े जो इंदौर में एक महीना बी रुक जाए वो इन्दोरी बनके ही जाए।

इंदौरी तड़का : भिया दुनिया भर के सारे एबले लोग यहीं पे है

इंदौरी तड़का : बड़े ऊपर बी फोग चल रिया है तभी भगवान रोज फुर्री छोड़ रिए है

इन्दौरी तड़का : बड़े यहाँ पे लोगो को मुंह न खाने में बंद रेता है न बोलने में

 

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