ये है देश की वह 5 तवायफ, जिनका नाम आज भी बड़े अदब से लिया जाता है
अपने कई बॉलीवुड फिल्मो में टीवी एक्ट्रेस को तवायफ का किरदार निभाते हुए देखा होगा. लेकिन आप असल तवायफों के बड़े में कुछ नहीं जानते होंगे. इसका सबसे बड़ा कारण है इन तवायफों का पेशा जिसे लोग सभ्य नहीं मानते है. इसके बावजूद ऐसी कई तवायफ है. जिनका नाम आज भी बड़े अदब और सम्मान के साथ लिया जाता है. इसी सिलसिले में आज हम आपको देश की सबसे उन 5 तवायफ के बारे में बताने जा रहे है. जिनका नाम आज भी लोग बड़े अदब और सम्मान के साथ लेते है.
गौहर जान
बनारस और कलकत्ता की मशहूर तवायफ गौहर जान आर्मेनियाई दंपत्ति की संतान थी. दुर्भाग्य से उनके माता-पिता की शादी चल नहीं पाई और 1879 में दोनों का तलाक हो गया. इस समय गौहर मात्र 6 साल की थी. इसके बाद उनकी माँ विक्टोरिया ने कलकत्ता में रहने वाले मलक जान नाम के शख्स से शादी कर ली थी. यही से उन्हें 'गौहर जान' नाम मिला था. गौहर अपने ज़माने की सबसे महंगी कलाकार थी. उनके बड़े में कहा जाता है की वह 101 गिन्नी सोने लेने के बाद ही किसी महफ़िल के लिए तैयार होती थी. उनके पहनावे से ततलकालीन रानियां भी मार खाती थी.
बेग़म हज़रत महल
‘अवध की बेग़म’ की बेगम कही जाने वाली बेग़म हज़रत महल का असली नाम मुहम्मदी ख़ानम था. पेशे से तवायफ़ हज़रत महल को खवासिन के तौर पर शाही हरम में जगह दी गयी थी. इसके बाद अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने उनसे शादी कर ली थी. 1856 में जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्ज़ा किया था. तब वाजिद अली शाह कलकत्ता भाग खड़े हुए थे. ऐसे में हज़रत महल ने अवध की कमान संभाली थी. उनका नाम 1857 के क्रांतिकारियों में प्रमुखता से लिया जाता है. वद्रोह नाकाम होने पर उन्हें नेपाल भागना पड़ा था. जहाँ 1879 में, गुमनामी की हालत में उनकी मौत हो गयी थी.
जद्दनबाई
एक्ट्रेस नर्गिस की मां और संजय दत्त की नानी जद्दनबाई का नाम संगीत के कदरदानों में बेहद अदब से लिया जाता है. वह गायिका, म्यूजिक कम्पोज़र, अभिनेत्री और फिल्म मेकर थी. उन्हें भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला सगीत निर्देशक भी कहा जाता है. उन्होंने शुरूआती ट्रेनिंग कलकत्ता के भैया साहब गणपत से ली थी. लेकिन इस बीच उनकी मौत हो गयी. जिसके बाद उन्होंने आगे की ट्रेनिंग उस्ताद मोईनुद्दीन ख़ान से ली. अंग्रेजी हुकूमत से भी उनका हमेशा से छतीस का अकड़ा रहा था. उनके घर पर अंग्रेजो ने काफी छापे मारे थे. अंग्रेजो को लगता था की जद्दनबाई क्रांतिकारियों को अपने यहाँ पनाह देती थी.
ज़ोहरा बाई
मर्दाना आवाज़ के लिए मशहूर ज़ोहराबाई आगरा घराने से ताल्लुक रखती थी, उन्होंने उस्ताद शेर खान से तालीम हासिल की थी जोहराबाई का नाम गौहर जान के सतह बड़े ही सम्मान से लिया जाता है. बड़े ग़ुलाम अली ख़ान और फैयाज़ ख़ान जैसे उस्ताद उनकी गायकी से प्रभावित थे.