हमको ही नहीं मूर्तियों को भी लगती है ठंड, देख लो खुद
ठंड है भाई, वो भी इतनी की मुँह से नाक से सब जगह से पानी निकल रहा है. हालत खराब हो रखी है ऐसी कंपकंपी छूट रही है कि क्या बताए. इस ठंड में तो न नहाने का मन करता है और ना ही बिस्तर से उठने का. बस मन करता है सोये रहो सोये रहो. इस समय तो पॉटी से लेकर बाथरूम तक कुछ नहीं आता है और आ जाए तो जाना का मन नहीं होता है. वैसे अगर आप सोच रहे हैं कि हम ही इस ठंडी को झेल रहे हैं और ठंडी में ठिठुर-ठिठुर कर काम कर रहे हैं तो ऐसा नहीं है. जी दरस मूर्तियां भी हैं जो ठंड को झेल रहीं हैं. जी हाँ, अगर आप नज़रें दौड़ाएंगे तो देखेंगें कि मूर्तियां और आस-पास की चीज़ों पर भी इस का किस क़दर असर पड़ा है. इन मूर्तियों पर भी ठंडी का असर पड़ रहा है जिसके कारण मूर्तियों के हालात बदल चुके हैं. आइए हम आपको दिखते हैं.
यहाँ देखे हद कर दी..
मुँह से ठंड निकल रही है भाई...
देख रहे हो ठंड...
मूर्ति को भी लगती है रे बावा...
ठंड सबको लगती है मुँह से पानी सबके निकलता है...