मिर्ज़ा ग़ालिब : जन्मदिन पर इस महान शायर को समर्प्रित किया गूगल ने डूडल
![Google Doodle Honours Mirza Ghalib On His 220th Birthday Google Doodle Honours Mirza Ghalib On His 220th Birthday](https://viral.newstracklive.com/uploads/december2017/9NwhLSL8IG1514344675.jpg)
आपको बता दे, मुग़ल काल के शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का आज 220वां जन्मदिन है. इस खास मौके पर गूगल ने अपना डूडल बदल कर उन्हें समर्पित किया है. मिर्ज़ा ग़ालिब का नाम हर किसी की जुबां पर रहता है. चाहे वो किसी भी रूप में रहे. हर कोई इनके शायराना अंदाज़ से वाकिफ है और ये भी जानते हैं कि ये एक बहुत बड़े शायर थे जो आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा है.
आपको बता दे इनका जन्म 27 दिसंबर 1797 में आगरा में हुआ था. इनका पूरा नाम है Mirza Asadullah Baig Khan. ये उर्दू और पर्शियन भाषा में शायरी लिखा करते थे और इसी से उन्हें जाना भी जाना जाता है. लेकिन इन्हे सबसे ज्यादा इनकी उर्दू शायरी के लिए जाना जाता है. ये अपने घर पर पर्शियन, उर्दू और तुर्किश भाषा का उपयोग करते थे.
![](https://viral.newstracklive.com/uploads/december2017/CCmvJ80r7f1514344675.jpg)
वैसे तो इनकी कई शायरी सुनी होंगी आपने और आज भी सुनते ही होंगे और इन्ही शायरी से उन्हें याद भी करते होंगे. जानकारी के लिए बता दे, सन् 1961 में पाकिस्तान में भी मिर्जा ग़ालिब पर इसी नाम से एक फिल्म बनी थी जिसे 24 नवंबर 1961 को रिलीज किया गया था.
![](https://viral.newstracklive.com/uploads/december2017/FCWwsvHOYc1514344675.jpg)
बॉक्स ऑफिस पर इसे औसत सफलता भी मिली थी. गुलजार ने भी मिर्जा ग़ालिब पर सन् 1988 में एक सीरियल बनाया था. ये शो डीडी नेशनल पर आता था और काफी पसंद भी किया गया. नसीरुद्दीन शाह ने इसमें ग़ालिब का रोल निभाया था. इस शो के लिए ग़जलें जगजीत सिंह और चित्रा सिंह ने गाई थीं.
![](https://viral.newstracklive.com/uploads/december2017/l8ZRqKKbTt1514344675.jpg)
इनके बारे में बता दे, मिर्ज़ा ग़ालिब की शादी 13 साल की उम्र में कर दी गयी थी जिसके बाद वो दिल्ली में जा कर सेटल हो गए. मुग़ल दौर में इन्हों एकै शायरी लिखी और कई ग़ज़ल भी पढ़ी. इसी के साथ उनकी इन ग़ज़ल को दुनिया में कई भाषाओँ में लाया गया.
![](https://viral.newstracklive.com/uploads/december2017/Sw5f2Po2hv1514344675.png)
खास बात ये है की इन्हे मुग़ल काल का सबसे अहम हिस्सा माना गया था और इसी के चलते इन्हे मुग़ल दरबार में नियुक्त कर दिया गया जो आज भी सबके जहन में जिन्दा है.