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इन्दौरी तड़का : बड़े घर से बाहर निकलने में फटेगी, बारिश जो टपक गई

indori tadka : rainy season in indore

हाँ बड़े ऐसे पानी बरसा कल तो इंदौर में मानो सब जगे के बादल यहीं आ गए हो। सब के सब बादल ने यहीं डेरा डाल लिया हो कसम से ऐसे मौसम हो रिया था ना की क्या बतउं। बड़े अब तो बारिश बी आ ही गई घर से बाहर निकलने में बी फटेगी अब तो।  यार भिया कई जाने को बी नई मिलेगा अब। बारिश अलग नी मानती है। जून खत्म तो हो जाने देती फिर बरसती तो कोई बात नी थी। अब बिना मौसम ही बरसे जा री है हद है मतलब। कसम से कोई ऐसा करता है क्या जैसा ये बारिश कर री है। कोई तो समझाओ इस बारिश को की अभी तेरा समय नी है जो तू आए जा री है। 

बावा यार बारिश तो ठीक है फिर बी अब जो कीचड़ हो जावेगा सबसे ज्यादा बुरा तो वई लगता है।  कोई बुरा नी लगता बस ये एक कीचड़ के आलावा। बारिश को जित्ता बरसना है बरसे मना नी कर रे है हम पण यार कीचड़ तो ना करो। बारिश में मेंढक और कीड़े मकोड़े अलग आ जाते है जान खाने। सई में यई एक मौसम है जो बड़े मजे ला देता है। क्या बोलो भिया मौसम तो मौसम है आएगा ही बदलेगा ही कौन रोक सके है।  

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