ऐसा ही होता है जब हम घर में किसी की नहीं सुनते
अक्सर ही हम अपने बड़े बुजुर्गों की बातें सुनते आए है और उनका पालन करते आए है लेकिन कई बार ऐसा होता है जब्व हम उनसे बहुत परेशान हो जाते है और उनकी बातें हमे अंधविश्वास लगने लगती है। जैसे छींक देने पर घर से बाहर ना जाना, दूध का फटना, बिल्ली का रास्ता काटना और भी कई। ऐसे में बात की जाए हमारी मॉम की तो वो तो जरा जरा सी बात पर भी हमे सुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। अब अगर हम हमारे रिश्तेदारों की, हमसे बड़े बुजुर्गों की बात नहीं मानते है तो वे हमे ऐसी ऐसी बातें बोलती है जिन्हे सुनने के बाद हमारा रिएक्शन कुछ ऐसा ही होता है। आइए देखते है।
जब दादी कहती है घर से जाते वक्त बड़ो के पैर छुआ करो और हम ना माने -
मॉम - अब तो ये बड़े लोग हो गए है ना।
जब दीदी कहे की घर के काम कर लो और हम ना करें -
मॉम - कानो में मेल जो भरा है सुनाई थोड़ी पड़ा होगा।
जब पापा कहें की बेटा पढ़ने में ध्यान लगा लो अब और हम घूमते रहें -
मॉम - बस दिनभर कुत्तों के जैसे घुमवा लो इससे लेकिन पढ़ाई का ना बोलो।
जब भाई कहें कभी फ्रीज साफ़ भी कर दिया कर और हम ना करें -
मॉम - बस खाना आता है और पीना, फ्रीज़ तो नौकर लगवाए है ना इसने वो साफ़ करेंगे।