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अब शिकारी ने इस हिरनी को भी जाने दिया. अब दो हिरनियों को छोड़ देने के बाद शिकारी को लगा आज उसका परिवार भूखा पेट ही सोएगा. लेकिन तभी एक हिरण आया. पहले की तरह शिकारी ने अपना तीर कमान निकाला और निशाने साधने लगा. इस प्रक्रिया में फिर कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर जा गिरे और उसकी तीसरे प्रहर की पूजा भी संपन हो गई.

इस हिरण ने अब शिकारी से दया याचिका नहीं की, बल्कि कहा की ये उसका सौभाग्य है कि वो किसी के पेट की भूख को शांत कर पाएगा. लेकिन उसने कहा कि वो पहले अपने बच्चों को उनकी मां के पास छोड़ कर आएगा. शिकारी ने उस हिरण पर विश्वास किया और उसे जाने दिया. कुछ समय बाद शिकारी ने देखा की सभी हिरण उसकी तरफ बढ़ रहें हैं.उन्हे देख शिकारी ने अपना धनुष निकाल लिया और उसकी चौथे प्रहर की पूजा भी संपन हो गई. अब क्योंकि उसकी शिव की उपासना पूर्ण हो गई थी, उसका ह्दय परिवर्तन हुआ.

शिकारी को इस बात की आत्मग्लानि हुई कि वो इन बेजुबान जानवरों का शिकार कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है. उसने सभी हिरणों को वापस जाने को कह दिया. शिकारी के ऐसा कहते ही भगवान शिव का दिव्य रूप प्रकट हुआ और उन्होंने उस शिकारी को यश, वैभव और ख्याति का आर्शीवाद दिया. तो इस कहानी का सार यहीं है कि अगर आप सच्चे दिल से शिव की उपासना करते हैं तो भोले बाबा आपके सभी दुखों का हरण करते हैं और अपनी कृपादृष्टि सदैव बनाकर रखते हैं.

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