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यहाँ इस वजह से गुलाल नहीं भस्म से खेली जाती है होली

Playing holi in Kashi Vishwanath temple by the devotee varanasi

आप सभी को बता दें कि होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार कहा जाता है और इसके आने की ख़ुशी सभी को होती है. ऐसे में होली सभी को पसंद आती है और इस त्यौहार को सभी जमकर एन्जॉय करते हैं. ऐसे में होली इस साल यानी 2019 में 21 मार्च को है. ऐसे में होली सभी जगहों पर केहली जाती है लेकिन कहीं कहीं ऐसी होली खेली जाती है कि जानने के बाद आपके होश उड़ जाएंगे. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं बाबा काशी विश्वनाथ की. जहां ये परंपरा बहुत ही पुरानी है जिसमें होली में राख से होली खेली जाती है.

जी हाँ, यहाँ रंग से नहीं बल्कि चिता के भस्म हवा में उड़ते हैं और लोग उस भस्म में सराबोर होकर डूबते हैं. यहां पर रंग, अबीर और गुलाल के बजाय चिता के भस्म से होली खेली जाती है. कहते हैं हर साल बाबा काशी विश्वनाथ में ऐसी ही होली खेलते हैं और इसे खूब जमकर एन्जॉय भी किया जाता है. यहाँ इस दिन लोग मणिकर्णिका घाट पर चिताओं के भस्म से होली खेलते है और भेदभाव, छुआ-छूत, पवित्र-अपवित्र से परे होकर लोग एक दूसरे पर भस्म को बड़े ही प्रेम से फेकते हैं और हवा में सिर्फ भस्म ही उड़ता है.

आप सभी को बता दें कि यह एक ऐसा नजारा होता है जिसे देखकर शायद कोई भी वास्तविक जीवन से दूर होकर महादेव के इस मणिकर्णिका घाट पर खो जाये. और जमकर मग्न नजर आए. इसे लेकर यह मान्यता है कि, बाबा काशी विश्वनाथ ने अपना गौना कराने के बाद दूसरे दिन यहां के महाश्मशान में अपने गणों के साथ होली खेली थी. इसी मान्यता के अनुसार काशी में हर साल महाश्मशान में होली खेलने की परंपरा निभाई जाती है. यहाँ मणिकर्णिका घाट को महाश्मशान कहा जाता है और पूरी दुनिया में यही एक ऐसा श्मशान घाट है जहां पर अनादि काल से चिताएं जल रही है और ये घाट कभी भी बिना चिता के नहीं रहा है.

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