देखिये कैसे सोशल मीडिया पर तोड़-मरोड़ कर परोसी जाती हैं फ़ेक चीज़ें
कभी-कभी हम जो देखते हैं वह असल में नहीं होता. कभी-कभी हम वह देखते हैं जो लोग हमें दिखाना चाहते हैं. ऐसे में हम वो नहीं देख पाते हैं, जो हमें देखना चाहिये. वैसे अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें दोष हमारा ही है, हालाँकि ऐसा नहीं है. इसमें आपका कोई दोष नहीं है, बल्कि फ़ोटोग्राफ़ी की कलाकारी का दोष है. क्या होता है कि कभी-कभी मीडिया हमारे सामने ऐसी तस्वीरें रखती हैं, जिसे देखकर कोई भी इंसान धोखा खा जाये. वहीं उस तस्वीर की हकीक़त सिर्फ़ वही लोग बता सकते हैं, जो चीज़ों की तह तक जाकर उसकी तहकीकात करते हैं. आज हम लाये हैं Ólafur Steinar Gestsson और Philip Davali नामक फ़ोटोग्राफ़र्स द्वारा क्लिक की गई फोटोज. जी दरअसल इन दोनों ने Ritzau Scanpix नामक फ़ोटो कंपनी के लिए एक एक्सपेरीमेंट किया. इस प्रयोग में उन्होंने दिखाया कि कैसे फ़ोटोग्राफ़ी की मदद से लोगों को आसानी से बेवकूफ़ बनाया जा सकता है. आइए हम आपको दिखाते हैं.