इस शख्स ने दी थी मौत को भी मात...अंतिम जीवन को कब्जे में कर किया था सबको हैरान
ब्रंह्माड की गांठ खोलने वाले विश्व प्रसिद्ध ब्रितानी भौतिकी वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग मौत का सामना करते हुए 76 साल की आयु तक अपनी इच्छाशक्ति पर अमल करने वाले वर्ल्ड के महान वैज्ञानिकों में से एक कहे जाते है। महान वैज्ञानिक स्टीफेन का आज बर्थडे है। तीन वर्ष पहले वे इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा हुए थे, लेकिन आज भी स्टीफेन का नाम बड़ी ही शान और गर्व से याद किया जाता है। जिसने मौत के आगे भी अपनी जीत हासिल कर ली थी, और अपनी कमजोरी को कभी कमजोरी न समझते हुए विश्व में इतिहास रच दिया।
21 की उम्र में दर्दनाक हादसा: महान वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 यानी आज ही हुआ था। इनकी जन्म तारीख से एक बड़ी ही दिलचस्प बात जुड़ी हुई बताई जा रही है। दरअसल स्टीफन का जन्म आधुनिक विज्ञान के पिता गैलीलियो की मौत के ठीक 300 वर्ष के उपरांत हुआ। गैलीलियों की मृत्यु 8 जनवरी 1642 को हुई थी। स्टीफेन बचपन से बहुत बुद्धिमान और प्रतिभाशाली थे। बचपन से ही इनके दोस्त इन्हें आइंस्टीन कहकर बुलाया करते थे।
एक बार कॉलेज की छुट्टियां होने पर स्टीफन अपने घर भी आए हुए थे। तब ये 21 साल के थे। घर पर ही वे सीढ़ियों से उतर रहे थे कि तभी उन्हें एकदम से बेहोशी महसूस हुई और वे तुरंत ही नीचे गिर पड़े। फिर उन्हें फैमली डॉक्टर के पास ले जाया गया शुरू में उन्होंने उसे मात्र एक कमजोरी की वजह से हुई घटना मानी।
बीमारी ने निभाई सबसे बड़ी भूमिका: इस लाइलाज बीमारी में शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे काम करना बंद कर दी थी। जिसके कारण से शरीर के सारे अंग काम करना बंद कर देते हैं। फिर धीरे-धीरे मरीज घुट-घुट कर मरने लग जाता है। हॉकिंग के बारे में डॉक्टरों का कहना था कि चूंकि इस बीमारी का कोई भी इलाज मौजूद नहीं है इसलिए हॉकिंग बस एक-दो साल ही जीवित रह पाएंगें।
लेकिन महान स्टीफन ने अपनी बीमारी को जीतने में पूरी तरह से नाकामयाब कर दिया। शुरूआत में तो उन्हें लगा था कि इस बीमारी की वजह से वे अपनी पी-एच.डी. पूरी नहीं कर सकेंगे।