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अभी कुछ मत सोचो, जब कुछ बनने का समय आएगा तब साथ मिलकर सोचेंगे : रोनित रॉय चिल्ड्रन्स डे पर

great message from ronit roy on children's day

आज बाल दिवस (14 नवंबर) है. यानि चाचा नेहरू का जन्मदिन और बच्चों का दिन. इस मौके पर टीवी एक्टर के रूप में पहचाने जाने वाले रोनित रॉय ने अपने बच्चों और उनकी लाइफ से जुड़ी कुछ बातों को साझा किया और बताया कि किस प्रकार समय के साथ-साथ बच्चे, उनका रेहेन-सेहेन, उनका बर्ताव चैंज होता जा रहा है. स्टार्स से पूछा गया कि उनकी जिंदगी में बच्चों के आने से क्या बदलाव आया. उनका जो रिश्ता अपने माता-पिता के साथ रहा, उसकी तुलना में अपने बच्चों के साथ कितना अलग है.

 

बच्चों से दोस्त बनकर बात करता हूं रोनित रॉय का कहना है लाइफ में बच्चों के आने के बाद तो हर चीज बदल जाती है. जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं, इंसान अपने बारे में नहीं, बच्चों के बारे में सोचने लगता है. जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, लाइफ उनकी तरफ सेंट्रिक हो जाती है.

बच्चों के स्कूल और उनकी टाइमिंग के हिसाब से घर में सारी चीजें होने लगती हैं. पूरा जीवन ही परिवर्तित हो जाता है. मेरी बेटी आदोर 12 साल की और बेटा अगस्त्य 10 साल का है. आज मैं 52 साल का हूं तो मेरे बेटे और मुझमें 42 साल का अंतर है. इतने अंतराल के बाद तो दुनिया ही बदल गई है.

मैं 16 साल का था, तब पहली बार टीवी देखा था. आज बच्चे पैदा ही इंटरनेट के जमाने में हो रहे हैं. हर माता-पिता का अपने बच्चों के साथ अलग-अलग व्यवहार होता है. मैं अपनी बात माता-पिता के सामने रखने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाता था, पर गलतियां करता था तो डांट पड़ती थी. लेकिन उस समय बच्चे अपने पिता के सामने सहमे-सहमे रहते थे. यह उनका संस्कार कहिए या और कुछ.

आज मेरे बच्चे मेरे दोस्त हैं, मैं उनसे दोस्त बनकर बात करता हूं. शायद 10-12 साल में एकाध बार ही डाटा होगा, मैं उन्हें बहुत समझाता हूं. बच्चों का बचपना बना रहे, इसलिए उन्हें समझाया है कि अभी कुछ मत सोचो, जब कुछ बनने का समय आएगा, तब सब मिलकर सोचेंगे. अभी बस अपना बचपन एंजॉय करो.

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