अपने पंखों का बखूबी इस्तेमाल जानता है ये पक्षी
सात समुंदर पार दक्षिणी देशों में पाया जाने वाला सुनहरा ट्रंपेट ट्री बुंदेलखंड के सागर में भी देखने के लिए मिला है, जो इन दिनों आकर्षण का केंद्र बन चुका है. इन दुर्लभ पेड़ों को ‘सोने का पेड़’ भी बोला जाता है. इन पेड़ों की खासियत यह है कि ये वर्ष भर में केवल 5-7 दिन के लिए ही फूलते हैं. इनमे पीले रंग के फूल भी खिल जाते है. ट्रंपेट ट्री में गुच्छों के रूप में तुरही के आकार जैसे फूल खिलते है, जो अपने आप में आकर्षण का केंद्र बन चुका है. इनको दूर से देखने पर यह सोने के जैसे दमकते हुए नजर आते है. साथ में धूप लगने पर पेड़ से टूटते हुए जमीन पर आकर उनका गिरना लोगों के लिए और आकर्षित भी कर रहा है. इनकी सुंदरता अपने आप में अनूठी और अनोखी भी लग रही है.
बता दें कि सागर के सहोदरा बाई पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में गोल्डन ट्रंपेट ट्री के चार पेड़ लगे हुए हैं, जो इस पूरे इलाके की शोभा को बढ़ाने का काम कर रहे है. प्रकृति से प्रेम करने वाले लोग इनकी तरफ आकर्षित हो जाते है. यह फूल इतने मुलायम होते हैं कि जैसे-जैसे इन में धूप भी लग जाती है, यह पेड़ से झड़ कर जमीन पर गिरने लगते हैं. यही वजह है कि 1 वर्ष में एक बार ही पेड़ों पर खिलने वाले सोने जैसे दिखने वाले ये फूल केवल 5 दिन में ही झड़ जाते हैं और शायद इसलिए बोला भी जाता है कि अच्छी चीज बहुत कम वक़्त के लिए होती है.
150 साल तक होती है उम्र: खबरों का कहना है कि गोल्डन ट्रंपेट ट्री को लेकर डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अजय शंकर मिश्रा का इस बारें में कहना है कि यह बहुत ही सुंदर पेड़ है, जिन्हें हो सकता है अंग्रेज या अन्य कोई विदेशी लेकर यहां आ गया हो.
क्योंकि यह भारतीय मूल का पेड़ नहीं है. यह दक्षिणी देशों में पाए जाने वाले वृक्ष हैं. इनकी सुंदरता इतनी अधिक है कि इनको बाग, बगीचों, महलों में लगाया जाता था. इन पेड़ों की आयु अधिकतम डेढ़ सौ साल तक बताई जाती है. यह सागर में केवल पॉलिटेक्निक कॉलेज के परिसर में ही लगे हैं.A black heron using its wings like an umbrella, creating shade to attract fish, a behavior known as “canopy feeding”. pic.twitter.com/tLbctyArpG
— Buitengebieden (@buitengebieden) March 13, 2023