कैकेयी नहीं बल्कि इनकी वजह से राम-सीता को सहना पड़ा था वियोग
लॉजिक की बात करें तो हर चीज़ में वह छुपा होता है कहानियों में, बातों में, किताबों में, इतहास में. ऐसे में आज हम आपको इतिहास की एक बात का लॉजिक बताने जा रहे हैं. जी दरअसल रामायण को वाल्मीकि द्वारा लिखा गया और यह संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है. ऐसे में रामायण हिन्दू धर्म का प्रमुख अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी. कहते हैं रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं और यह बात तो सब जानते है भगवान राम को चौदह वर्षों तक वन में रहना पड़ा था. वहीं इस बात का प्रमुख कारण कैकयी को माना जाता है जिनकी जिद के कारण यह सब हुआ था. ऐसे में जब रावण ने सीता का हरण किया तो कुछ समय के लिए राम और सीता को अलग रहना पड़ा था, लेकिन क्या आप यह बात जानते हैं कि राम और सीता को ये वियोग क्यों सहन करना पड़ा था. जी हाँ, अगर आपको नहीं पता तो आज हम आपको बताते है इसके बारे में.
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जी दरअसल भगवान राम का जन्म रावण वध का वध करने के लिए हुआ था इस कारण से अगर राम का राज्य अभिषेक हो जाता तो सीता का हरण और इसके बाद रावण वध का उद्देश्य पूरा नही हो पाता इस कारण से राम को 14 वर्षो तक वन में वास करना पड़ा था.
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वहीं एक बार नारद मुनि के मन में एक सुंदर कन्या को देखकर विवाह की इच्छा हुई थी और नारद मुनि नारायण के पास पहुंचे और हरि जैसी छवि मांगी. आपको बता दें कि हरि का मतलब विष्णु भी होता है और वानर भी। वहीं भगवान ने नारद मुनी को वानर का मुख दे दिया और इस कारण के चलते नारद मुनी का विवाह नही हो पाया। वहीं उसके बाद गुस्से में आकर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया कि आपको देवी लक्ष्मी का वियोग सहना पड़ेगा और वानर की सहायता से ही आपका पुनः मिलन होगा. बस उसी शाप के कारण राम-सीता को अलग होकर वियोग सहना पड़ा था और वानर यानि हनुमान के कारण दोनों का मिलन हो पाया.
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