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इंटरनेशनल लेबर डे : रिक्शाचालक पिता ने बेटे को बनाया IAS

rickshaw puller made his son IAS officer

आज इंटरनेशनल वर्कर्स डे है, इस मौके पर हम आपको एक रिक्शावाले की कहानी बताने जा रहे है. जिसने कड़ी मेहनत से अपने बेटे को IAS अफसर बना दिया है. वाराणसी के रहने वाले नारायण जायसवाल ने अपनी खुद भूखे रह कर अपने बेटे गोविन्द को आज IAS बना दिया है. आइये सुनते है इनकी कहानी.

नारायण इस बारे में बताते हुए कहते है की मेरे पास 35 रिक्शा थे. पत्नी इंदु, मई मेरी 3 बेटी निर्मला, ममता, गीता और एक बेटा गोविंद अलईपुरा में किराये के माकन में रहते थे. इस बीच पत्नी इंदु को ब्रेन हैमरेज हो गया, इलाज में 20 रिक्शा बिक गए. इसके बाद भी वह नहीं बच पायी. इस समय गोविन्द 7वी कक्षा में था.

माली हालत के बीच बेटियों की शादी की, जिसमे सारे रिक्शा बिक गए. मेरे पास केवल एक ही रिक्शा बचा था, जिसे मैं खुद चलाने लगा. बेटे को सेकंड हैंड किताबें ला कर देता था. ताकि उसकी पढाई किसी भी तरह से बाधित ना हो. कई बार हम दोनों ने सुखी रोटी खा कर गुज़ारा किया. इसके बावजूद कभी गोविन्द ने किसी चीज़ की मांग नहीं की.

हरिश्चंद्र महाविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद गोविन्द सिविल सर्विस की तैयारी के लिए दिल्ली चला गया था. वह उन्होंने टूशन पढ़कर अपना खर्च निकाला. पढाई के लिए उन्होंने चाय और एक समय का खाना भी छोड़ दिया था. इस सब का परिणाम गोविन्द के पहले ही अटेम्प्ट में सामने आया. उन्होंने 48वां रैंक हासिल की थी. जो उनके पिता और गोविन्द की कड़ी मेहनत और बलिदान का नतीजा था. गोविन्द इस बारे में कहते है की वह एक बार अपने एक दोस्त के घर खेलने गए थे. तब उनके दोस्त के पिता ने उन्हें घर से धक्के मार कर महज़ इसलिए बाहर निकाल दिया था, क्योकि वह रिक्शेवाले के बेटे थे. उस दिन ही गोविन्द ने IAS बनने की ठान ली थी. वर्तमान में गोविन्द गोवा में तैनात हैं. उन्होंने आईपीएस चंदन से शादी की है. वह भी गोवा में तैनात है. कभी एक कमरे में रहने वाला गोविन्द का परिवार आज वाराणसी के आलीशान बंगले में रहता है.

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