इन्दौरी तड़का : हम होली नी खेलेंगे तो माँ को पोछा कहाँ से मिलेंगा
इंदौरी तड़का : भिया होली की राम। हां हां मेरे को पता है होली अबी नी आई है, लेकिन आने वाली है ये तो अपन सब जानते ही है। होली खेलने का बी अपना ही एक अलग मजा है। भिया ये जो अपना इंदौर है यहाँ पे आधे छोरे छोरियां तो इसीलिए होली खेलते है की उनकी माँ को पोछे के लिए नया कपड़ा मिल जाएगा। हाँ बड़े भोत डिमांड में रेता है यहाँ पे होली पे गन्दा हुआ कपड़ा। इंदौर में जित्ती बी माँ है सब अपने बच्चो के होली के कपड़ो को पोछा बनाके पुरे घर की सफाई कर मारती है। अब ऐसे में किसी से पूछ लो आप यहाँ पे, की होली खेलोगे तो सब यहीं कहते है हाँ यार भियां खेलनी तो पड़ेंगी ही ना वरना मम्मा को नया पोछा कहाँ से मिलेगा।
मतलब भिया हमारे इंदौर में होली का शुभ दिन घर में पोछे का नया आविष्कार बी करता है। आधी इंदौरी माताएं तो अपने बच्चो को इसीलिए होली खेलने देती है की उनको नया पोछा मिल जाएगा। चलो भिया ये तो हो गई इंदौर की माताओं की बात बाकी हमारी बात की जाए तो हम तो अपनी मौज के लिए होली खेलते है। जित्ता मजा होली में आता है उत्ता कहीं और आ जाए तो बोलो। भिया बिना जान पेचान वालों को बी लपक के रंगीन कर देते है हम। और उसके बाद जिनको जानते है उनको तो भेतरीन तरीके से लपेट डालते है। भिया भोत सई साट तरीके से पोतते है हम सबको। कबी आप बी आओ।
इन्दौरी तड़का : यहाँ पे अगर आपने किसी को आप कह दिया तो दंगे हो जाते है भिया
इन्दौरी तड़का : तेरी तो.. तेरा ब्रेकअप हो गया ना चल अब पार्टी दे
इन्दौरी तड़का : भिया यहाँ पे माँ की हर बात बस मोबाइल पे खत्म होती है
इन्दौरी तड़का : भिया इंदौर में ही खेली जाती है कीचड़ वाली होली