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इन्दौरी तड़का : भिया भोत दर्द भरी हो चुकी है जिंदगी

indori tadka : bhiya bhot dardbhri ho chuki hai zindgi

हाँ भिया आजकल तो ज़िंदगी में कोई रोमांच बचा ही नी है सब जगे से बस लगी पड़ी हुई ही। कसम से ऐसा मन हो रिया है की अब तो सन्यास ले लू।  सन्यासी बनने में वैसे बी मजा है ही देख लो बाबा आसाराम, बाबा राम रहीम को दोनों ने मजे कर लिए सन्यासी बनकर।  लेकिन बड़े उसके बाद अब दोनों की ज़िंदगी जेल में गुजरेगी बेचारे। क्या मतलब ! इससे अच्छा अच्छे इंसान बनो, क्या है सन्यासी बनने में।

बड़े मन तो दोनों साइड चलता है वैसे बी ज़िंदगी की लगी पड़ी हुई है सब जगे से भड़ास ही निकलती रेती है।  बड़े कसम से ज़िंदगी की सब जगे से भेंकर वाली लगी पड़ी है कुछ बचा ही नी है ज़िंदगी में। हर जगे कोई ना कोई कैसेट उलझी हुई ही है। भिया ज़िंदगी कसम से इत्ती बर्बाद हो गई है की क्या बोलो हर जगे साला बर्बादी के अलावा कुछ है ही नी। क्या बोलो अब ज़िंदगी सच्ची में खराब हो गई है अब कुछ रा ही नी है। भिया ज़िंदगी कसम से भोत लपक के दर्दभरी हो गई है हर जगे से दर्द ही दर्द टपक रिया है। दर्द के अलावा ऐसा लगता है कुछ है ही नी। 

कबि कबि तो ऐसा लगता है बस अपनी ही ज़िंदगी दर्दभरी है लेकिन नी जिससे पूछो साला उसी की ज़िदंगी दर्द से भरी पड़ी है सबकी साला लगी पड़ी है कोई की ज़िंदगी में सुख है ही नी। साला सब के सब मगजमारी में उलझे है ज़िंदगी की। 

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