इन्दौरी तड़का : भिया आज तो चुनाव की पेटी खुल गई है
इन्दौरी तड़का : भिया आज तो चुनाव के रिजल्ट आ गए है चुनाव तो कहीं और रहें है और मजे इंदौर में लिए जा रहें है इंदौर के लोग चुनाव को लेके इत्ते बेताब थे ना भिया की पूछो ही मत। जिसको देखो वो ये जानने में लगा हुआ था की कौन जीतेगा कौन जीतेगा ?? भिया यहाँ पे ऐसा गर्मागर्मी का महौल बना हुआ है की क्या बतऊ। लोगो को ये जानने में बड़ा इंटरेस्ट है की कौन जीत रिया है भले ही खुद को कुछ नी मिलना हो लेकिन ये जरूर जानेगे की कौन जीत रिया है। भिया इंदौर की आंटियों की बात करो तो इनको तो इत्ती मगजमारी आती है की क्या बतऊ दिनभर ये पंचायत करती है की ये जीत जाएगा, वो जीत जाएगा।
यहाँ के अंकल की बात करो तो वो तो ऐसे ऐसे पंचायत करेंगे जैसे यहीं वोट देने गए हों। यहाँ पे छोरो और छोरी की बात करों तो इस वोट से कोई मतलब ही नी है जीते तो जीते हारे तो हारे कोई मतलब नी है रे भिया। हाँ भिया सच्ची में हम सच के रे है। यहाँ पे चुनाव से मतलब तो भोत है लेकिन सिर्फ अंकल आंटियों को। यहाँ के युथ को तो बस होली नजर आरी है। इनको तो अबी से होली की ऐसी नागिन धुन चढ़ गई है की ये अबी से हर जगह नागिन नाच नाचते हुए नजर आ जाएंगे। भिया यहाँ पे अंकल आंटियों को अलग और युथ को अलग बुखार चढा है। वैसे भैया अब तो चुनाव बी हो गए अब तो होली होएगी।
इन्दौरी तड़का : भिया इंदौर में ही खेली जाती है कीचड़ वाली होली
इन्दौरी तड़का : भिया यहाँ पे सब बस अपनी माँ की इज्जत करते हैं, दूसरों की नी
इन्दौरी तड़का : अरे भिया जाओ ना कायको माथा खा रिये हो