इन्दौरी तड़का : भिया इस दिवाली पटा-के न छोड़ें
देखो बड़े अपने इंदौर में तो यई चल रिया है जब से दिवाली अइ है तब से सब के सब यई केते नजर आ रिए है जिसको देखो वो यई के रिया है कि पटा-के ना छोड़े। बड़े अपने इंदौर में पटाखे छोड़ने को यई कहा जाता है अब करें बी क्या इंदौरी है सुधरेंगे थोड़ी। इंदौरी सब के सब ऐसे ही है इनको कोई काम धाम तो है नी सब के सब पटा-के छोड़ने में लगे रेते है। बड़े इंदौर के छोरे छोरियों का तो असली काम ही ये है पटा-के छोड़ देना। कसम से इंदौर में ऐसे लपक लोग मिल जाएंगे जो पटा-के छोडते नजर आते है। इसलिए साला हम हर दिवाली सबसे यई केते नजर आते है कि पटा-के न छोड़ें। बड़े कसम से अब इंदौरियों को बोलो बी तो क्या बोलो ये लोग कसम से ऐसे अजीब अजीब है की सुनते ही नी है किसी की।
अगर कोई किसी को समझाने जाता है तो वो खुद ही समझ के आ जाता है। बड़े इंदौर में जित्ते एबले लोग मिल जाएंगे ना उत्ते कई और नी मिलेंगे। बड़े कसम से ऐसी हो गई है ना इंदौर के लोगो की ज़िंदगी की क्या बोलो। भिया यहाँ पे कई तो ऐसे बी लोग है जिनको दिवाली की छुट्टी ही नी मिल री है। बेचारे वो तो बिलकुल बी पटाखे नी छोड़ पाएंगे। कसम से कुछ इंदौरी ऐसे है जो पटा-के छोड़े जा रिए है और कुछ ऐसे है जिन्हे पटाखे छोड़ने का मौका ही नी मिल रिया है। अब क्या बोलो।
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