क्यों करने पड़े थे Statue Of Liberty के 350 टुकड़े, जानिए इसके बारे में
31 अक्टूबर 2018 को गुजरात में दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति का अनावरण किया गया था और उस प्रतिमा का नाम है स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी (Statue Of Unity)। जी हाँ और इसमें भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति बनी है। यह प्रतिमा 182 मीटर की ऊंचाई पर है और इसी के साथ ये दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। आपको बता दें कि इससे पहले ये ख़िताब न्यू यॉर्क के लिबर्टी आइलैंड पर लगी स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी (Statue Of Liberty) के नाम था, जिसकी ऊंचाई 151 फ़ीट 1 इंच है।
जी हाँ और इसका लोकार्पण 28 अक्टूबर 1886 को अमेरिकी राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड (Grover Cleveland) ने किया था। ये स्टेच्यू 136 साल पुराना है। आप सभी को बता दें कि इस स्टेच्यू को ग़ौर से देखे तो इसकी बनावट कुछ इस तरह से है, इसके एक हाथ में किताब तो दूसरे हाथ में मशाल और सिर पर एक मुकुट है, जिसमें सात डंडियां निकली हैं, जो सात किरणें हैं। केवल यही नहीं बल्कि इस मूर्ति से कई तथ्य जुड़े हैं जिनमे से एक यह है कि इसके मुकुट की सात किरणों का क्या मतलब है और इस स्टेच्यू के 350 टुकड़े क्यों किए गए थे?
जी दरअसल स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी न्यूयॉर्क में है, लेकिन इसे 1876 में फ़्रांस में बनाना शुरू किया गया था और ये 8 साल बाद जुलाई 1884 में बनकर तैयार हुई थी। यह फ़्रांस और अमेरिका के बीच की दोस्ती का प्रतीक है। वैसे तो हम सभी जानते हैं कि ये उस समय दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति थी तो, इसलिए इसे फ़्रांस से न्यूयॉर्क लाने में बहुत मुश्किल हुई थी।
इस मुश्किल को आसान करने के लिए ही मूर्ति को 350 टुकड़ों में विभाजित करके 214 बॉक्सेस में रखकर न्यूयॉर्क लाया गया। जब ये न्यूयॉर्क पहुंच गई तो उसे वहां पर रीअसेंबल किया गया। केवल यही नहीं बल्कि स्टेच्यू में लगे मुकुट की सात किरणें दुनिया के 7 महाद्वीपों और 7 महासागरों का प्रतीक हैं। वैसे आप देखेंगे तो मूर्ति के बाएं हाथ में एक किताब है, जिसपर JULY IV MDCCLXXVI लिखा है।
इस रोमन अंक का मतलब 4 जुलाई, 1776 है, ये वो तारीख़ है जब अमेरिका को आज़ादी मिली थी। जी हाँ और इस स्टेच्यू की स्थापना होने के 98 सालों बाद यानि 1984 में UNESCO ने इसे Global Heritage Site शामिल किया था। आप सभी को यह भी बता दें, ज़मीन से इस स्टेच्यू की पूरी लंबाई 305 फ़ीट 6 इंच है और इसका वज़न 225 टन है। जी हाँ, इसी के साथ इसकी मशाल में पीले रंग की धातु दिखती है, वो 24 कैरेट गोल्ड की बनी है। इसको 1986 में स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी को रीस्टोर्ड करते समय मशाल की लौ को गोल्ड से बनाया गया था।
आखिर क्यों पूजा पाठ करते समय बजाई जाती हैं घंटियाँ?
आखिर क्यों ‘शेफ़’ लंबी और छोटी सफ़ेद ‘टोपी’ पहनते हैं?