जानिए क्यों सूर्य देवता से नाराज हो गए थे शिव भगवान
सावन के महीने में शिव भगवान का पूजन किया जाता है. ऐसे में सावन के महीने में शिव के बारे में जितना पढ़ा जाए या सुना जाए कम ही लगता है. उनसे जुड़ी कई कहानियां हैं जो सभी को पढ़नी और जाननी चाहिए. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं शिव की वह कथा जिससे आपको पता चलेगा कि उनके गुस्से का शिकार सूर्य भी हुए थे. आइए जानते हैं.
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार
भगवान शिव अपनी शरण में आए दैत्य माली-सुमाली की दारुण व्यथा सुनकर अत्यंत क्रोधित हुए. उन्होंने कश्यप नंदन सूर्य पर अपने त्रिशूल से प्रहार कर दिया. उस समय संपूर्ण लोकों को प्रकाशित करने वाले सूर्य देव अपने सात घोड़ों के रथ पर विराजमान थे. वह भोलेनाथ का प्रहार सहन नहीं कर पाए और रथ से नीचे गिर कर अचेत हो गए. उनके गिरते ही संपूर्ण सृष्टि अंधकार में डूब गई. संपूर्ण जगत में अंधियारा होने पर सूर्य देव के पिता कश्यप ऋषि को अपने पुत्र की चिंता हुई.
जैसे ही वह भगवान सूर्य के पास पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनके पुत्र पर भगवान शिव ने प्रहार किया है. वह क्रोध से आग बबूला हो गए और अपना संयम खो बैठे. आवेश में आकर उन्होंने शिवजी को शाप दे डाला. उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज वह अपने पुत्र की हालत पर रो रहे हैं. एक दिन उन्हें भी ऐसे ही दु:खी होना पड़ेगा. वह भी पुत्र कष्ट से रोएंगे. कुछ ही क्षणों में जब भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने देखा कि संपूर्ण सृष्टि में अंधकार होने से हाहाकार मचा है. उन्होंने सूर्य देव को जीवन दान दिया. तभी शिवजी को ऋषि कश्यप के शाप के बारे में पता चला. उन्होंने सभी का त्याग करने का निश्चय किया. यह सुनकर ब्रह्माजी भगवान सूर्य के पास पहुंचे. उन्हें उनके कार्य का दायित्व सौंपा. इसके बाद शिवजी, ब्रह्मा और ऋषि कश्यप सभी ने सूर्य को आशीर्वाद दिया और अपने-अपने स्थान पर वापस चले गए.
सूर्य जैसे ही अपनी राशि पर आरूढ़ हुए माली-सुमाली पुन: शारीरिक कष्ट से जूझने लगे. तब ब्रह्मा जी ने स्वयं ही दोनों दैत्यों को सूर्य की उपासना का महत्व समझाया और कहा कि पूरी निष्ठा से उनकी उपासना करें. उनकी कृपा से ही वह पूर्ण रूप से निरोगी होंगे. तब माली-सुमाली ने ब्रह्मा जी के कहे अनुसार सूर्य देव की पूजा- आराधना की. उनकी पूजा से प्रसन्न होकर सूरज देवता ने उनकी समस्त शारीरिक व्याधियों का अंत कर दिया.
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