इस वजह से भांग के दीवाने हैं महाकाल
आप सभी जानते ही हैं कि आज महाशिवरात्रि है. ऐसे में भोले भांग पीते हैं और उन्हें यह बहुत पसंद भी है. ऐसे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वेदों में भांग को एक 'Medicinal Plant' बताया गया है, जो '5 पवित्र पौधों में से एक है'. तो आइए आज जानते हैं कि आखिर क्यों भोले को इतनी पसंद है भांग.
कहा जाता है जिस तरह सूर्य बिना दूषित हुए मूत्र में से भी पानी खींच लेता है, उसी तरह शिव भी बिना रुके विष के सागर को अपने अंदर समा सकते हैं. जी दरअसल वह इतने अधिक शक्तिशाली हैं कि भांग या चिलम पी सकते हैं, लेकिन अपना होश कभी नहीं खोएंगे. वहीं कई अघोरी चिलम भांग का सेवन करते हैं, क्योंकि ये माना जाता है कि इससे दिमाग को केंद्रित करने और ध्यानमग्न होने में सहायता मिलती है. कहते हैं देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से जो विष निकला, उससे पृथ्वी पर हाहाकार मच गया, इस विष को पीने वाले शिव थे. वहीं उन्होंने विष को निगला नहीं, बल्कि उसे कंठ में रख दिया, इसलिए वो नीलकंठ कहलाये. यह विष इतना गर्म था कि इससे शिव को बहुत गर्मी हो गयी और फिर उन्हें कैलाश भेजा गया, जहां तापमान हमेशा 0 डिग्री रहता है.
वहीं शिवलिंग पर बेल-पत्र चढ़ाने का महत्व भी इसलिए है क्योंकि ये ठंडा होता है. कहते हैं भांग 'Coolant' का काम करता है. इसी के साथ ऐसा भी कहते हैं वेदों के अनुसार समुद्र मंथन से एक बूंद मद्र पर्वत पर गिरने से एक पौधा उगा और इस पौधे का रस देवताओं को इतना पसंद आया कि उन्होंने इसका सेवन करना शुरू कर दिया. वहीं बाद में शिव इसे हिमालय में ले आये ताकि हर कोई इसका सेवन कर सके. कहते हैं भांग को गंगा की बहन कहा जाता है और ये हमेशा गंगा के किनारे ही उगती है इस कारण भांग को शिव की जटा पर बसी गंगा के बगल में जगह दी जाती है.
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