इस कारण भगवान शिव ने लिया था अर्धनारीश्वर का रूप
भगावन से जुड़े कई ऐसे सवाल हैं जो चौकाने वाले हैं. इन्ही में एक सवाल है कि आखिर क्यों भगवान शिव ने लिया था अर्धनारीश्वर रूप. जी दरअसल इसके पीछे एक कथा है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं..
कथा - शिवपुराण के अनुसार सृष्टि में प्रजा की वृद्धि न होने पर ब्रह्माजी के मन में कई सवाल उठने लगे, तब उन्होंने मैथुनी सृष्टि उत्पन्न करने का संकल्प किया. लेकिन तब तक शिव से नारियों का कुल उत्पन्न नहीं हुआ था, तब ब्रह्माजी ने शक्ति के साथ शिव को संतुष्ट करने के लिए तपस्या की.
ब्रह्माजी की तपस्या से परमात्मा शिव संतुष्ट हो अर्धनारीश्वर का रूप धारण कर उनके समीप गए तथा अपने शरीर में स्थित देवी शक्ति के अंश को पृथक कर दिया. उसके बाद ब्रह्माजी ने उनकी उपासना की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शक्ति ने अपनी भृकुटि के मध्य से अपने ही समान कांति वाली एक अन्य शक्ति की सृष्टि की जिसने दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया. अर्धनारीश्वर लेकर भगवान ने यह संदेश दिया है कि समाज तथा परिवार में महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही आदर व प्रतिष्ठा मिले. उनके साथ किसी प्रकार का भेद-भाव न किया जाए… इसी तरह के भगवान से जुड़े कई किस्से, कहानियां और कथाएं हैं जो चौकाने वाले हैं. इस कथा से यह पता चलता है कि आखिर क्योंकि भगवान शिव ने लिया था अर्धनारीश्वर का अवतार.
हाथ पकड़कर सोते है ये जानवर, ख़ास है कारण
तो क्या एक वैज्ञानिक था कुंभकर्ण