हनुमान जयंती : घोर तप और त्याग के बाद हुआ था भगवान हनुमान का जन्म
आप सभी को बता दें कि कल हनुमान जयंती है. ऐसे में बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि भगवान हनुमान का जन्म कहाँ हुआ था. तो आइए आज हम आपको बताते हैं कहाँ हुआ था भगवान हनुमान का जन्म. हनुमान जी का जन्म मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित टिहरका गांव में हुआ था जिसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है. आइए जानते हैं.
पौराणिक मान्यता
भगवान हनुमानजी ने इसी गांव में जन्म लिया था. इसी पावन पवित्र धरा पर चैत्र शुक्ल पक्ष दिन मंगलवार को मारुतिनंदन का जन्म हुआ. अंजनी माता अपने पति केशरी के साथ सुमेरु पर्वत पर निवास करती थीं. जब कई सालों तक माता अंजनी को संतान प्राप्त नहीं हुई तो मतंग ऋषि के कहने पर टिहरका गांव के पर्वत पर करीब 7 हजार सालों तक निर्जल तप किया, तब से बिल्व की आकृति का पर्वत अडिग खड़ा है.
इसी पर्वत के नीचे भगवान महादेव का धाम भी है और यहां माता अंजनी तपस्या करके पूर्व दिशा में स्थित आकाश गंगा में स्नान करती थीं. वे दोनों कुंड इस गांव में आज भी मौजूद हैं, जिनका पानी कभी नहीं सूखता है. हनुमानजी के जन्म को लेकर इस गांव में एक और किवंदति है कि जिस यज्ञ से भगवान राम का जन्म हुआ था, उसी यज्ञ के प्रसाद से हनुमान जी का भी जन्म हुआ था. जब राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिये यज्ञ कराया तब यज्ञ के बाद ऋषि वशिष्ठ ने चारों रानियों को खीर का प्रसाद दिया था. इसी दौरान कैकई के हाथ से प्रसाद का कुछ भाग छीनकर एक चील ले भागा. रास्ते में तूफान से उस चील के हाथ से प्रसाद गिर गया. उसी समय पवन देव ने पर्वत पर तपस्या कर रही अंजनी माता के हाथ पर वह प्रसाद डाल दिया, जैसे ही माता ने वह प्रसाद ग्रहण किया, हनुमानजी गर्भ में आ गए और इस तरह हनुमानजी ने टिहरका गांव में जन्म लिया.
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