हवस का शिकार होने से बचने के लिए यहाँ लडकियां गुदवाती है गोदना
टैटू बनवाना आजकल फैशन में शामिल है. जी हाँ, फैशन की दुनिया में हर कोई टैटू बनवाने के लिए आगे रहता है. पर आप शायद ही जानते होंगे कि टैटू बनवाने की प्रथा आज भी कहीं कहीं जरुरी है. जी हाँ, एक ऐसी जगह के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जहाँ महिलाएं अपनी सुरक्षा, अपनी पहचान के लिए अपने शरीर के अलग-अलग अंगों पर टैटू, जिसे गोदना कहा जाता था बनवाती है. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिला की जो अपने शरीर के हिस्सों पर गोदना गुदवाती है.
जी दरअसल ऐसा करना उनकी परंपरा है, लेकिन ये प्रथा पहले उनकी जरूरत थी. आपको बता दें कि इस प्रथा के पीछे एक अनोखी कहानी है. जी दरअसल ब्लाउज की तरह गोदना छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाएं अपने शरीर पर गोदना गुदवाती थी, ताकि वो खुद को राजा की गंदी निगाहों से बचा सके. जी हाँ, यहाँ महिलाएं अपने और अपनी बेटियों के शरीर पर छाती और पीठ पर ब्लाउज के डिजाइन का गोदना गुदवाती थी, ताकि राजा की कुदृष्टि उनपर न पड़े और उनकी इज्जत बच जाए. इसके कारण वो पूरे शरीर में टैटू बनवाते हैं. कहते हैं राजा से बचने के लिए गोदना छत्तीसगढ़ के बैगा जनजाति की लड़कियां जैसे ही 10 साल की उम्र पार करती है उनके शरीर पर गोदना गुदवा दिया जाता है.
कहा जाता है कि उनका एक राजा हैवान था और वह हर दिन अलग-अलग महिलाओं को हवस का शिकार बनाता था और उनके साथ संबंध बनाने के बाद पहचान के लिए उनके शरीर पर गोदना गुदवा देता था. कहते हैं राजा की इस हरकत से खुद को बचाने के लिए महिलाओं ने राजा के तरीके को ही अपना हथियार बना दिया और अपनी बेटियों और बहूओं के शरीर पर गोदना गुदवना शुरू कर दिया, ताकि राजा की नजरें उनपर न पड़े. वहीं यहाँ लड़कियों के पैर, जांघ, दर्दन, पीठ, छाती और फिर चेहरे पर गोदना गोदा जाता है.
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