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ये है देश की वह 5 तवायफ, जिनका नाम आज भी बड़े अदब से लिया जाता है

रसूलन बाई

1902 में जन्मी बनारस घराने की इस महान फनकार ने 5 साल की उम्र से ही उस्ताद शमू ख़ान से तालीम हासिल करना शुरू कर दिया था. उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान भी रसूलन बाई का नाम बड़े ही अदब से लिया करते थे. वह उन्हें ईश्वरीय आवाज़ कहा करते थे. आज़ादी के बाद भले ही उनके शौहर सुलेमान पाकिस्तान चले गये लेकिन रसूलन भारत में ही रही.

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