Trending Topics

आखिर क्यों हरे रंग से सफ़ेद हो गई स्प्राइट की बोतल

Why is Sprite Changing Iconic Green Bottles

अमेरिकी कोका-कोला कंपनी ने अपनी स्प्राइट की हरी बोतल का रंग बदलने की तैयारी कर ली है. जी हाँ और भारत में जल्द ही इसका रंग भी दूसरी बोतलों जैसा ट्रांसपेरेंट होने जा रहा है. आपको बता दें कि दुनिया में पहली बार 1961 में स्प्राइट पेश की गई थी, तब से इसकी बोतल का रंग हरा ही है. अब कंपनी का कहना है कि वो 1 अगस्त से मार्केट में स्प्राइट की हरे रंग वाली बोतल को नहीं बेच रही है. जी हाँ और केवल स्प्राइट ही नहीं, दूसरे ड्रिंकिंग प्रोडक्ट को भी ट्रांसपेरेंट बोतलों में पेश किया जाएगा. आपको बता दें कि कंपनी का दावा है कि वो पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिहाज इसका रंग बदल रही है. अब सवाल ये उठता है, बोतल प्लास्टिक की ही रहेगी फिर रंग बदलने से कितना कुछ बदलेगा?

बोतल को ट्रांसपेरेंट क्यों किया जा रहा है

जी दरअसल कंपनी का कहना है, नई बोतल में स्प्राइट पेश करने की शुरुआत नॉर्थ अमेरिका से होगी.   वहीं इसके बाद दुनिया के दूसरे देशों में इसे पहुंचाया जाएगा. हालाँकि वर्तमान में स्प्राइट की बोतल का हरा रंग ही उसकी पहचान बन चुका है. आपको बता दें कि यह दुनिया में इतनी पॉपुलर है कि दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा पी जाने वाली सॉफ्ट ड्रिंक बन चुकी है. इसी के साथ, कोका कोला कंपनी की दूसरी सबसे ज्यादा बिकने वाली ड्रिंक है.

आपको बता दें कि एक रिपोर्ट के मुताबिक, बोतल का रंग बदलने के पीछे एक बड़ी वजह है. जी दरअसल हरी बोतल पर्यावरण के लिए ज्यादा नुकसानदेह है क्योंकि इसे रिसायकल तो किया जा सकता है, हालाँकि इससे दूसरी ट्रांसपेरेंट बोतले नहीं बनाई जा सकतीं. इस वजह से ऐसी बोतलों का कचरा बढ़ रहा है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है. वहीं ट्रांसपेरेंट बोतलों में पेश करने के बाद इन्हें रिसायकल करना आसान होगा और देश-दुनिया में बढ़ रहे कचरे को कम किया जा सकेगा. 

ये है रंग बदलने वाली मछली, जानिए इसके बारे में सब कुछ

आखिर क्यों शिव जी को चढ़ाते हैं बेलपत्र

 

You may be also interested

Recent Stories

1