इंदौरी तड़का : बावा दादागिरी में पेले नम्बर पे है अपना इंदौर
Indori Tadka : हाओ बड़े यहाँ के लोग है हे ऐसे जरा जरा सी बात पे ऐसे दादगीरी करते नजर आते है की बस कभी। हर चीज पे दादागिरी होती है यहाँ पे। लोग हर चीज़ पे अपना ही हक जमाते है। कुछ भी हो अपना हक। यहाँ पे अगर कोई किसी गली में रहता भी है तो उसे अपना एरिया बताता है। हर चीज़ में लोगो का कहना होता है अपना ही तो है बावा काहे का डर। मतलब क्या बोलो हर चीज़ यहाँ पे हक से चलती है हर चीज़ पे लोगो को हक़ जमाना आता है बस। बड़े यहाँ के लोग कसम से ऐबले है वो बी एक नम्बर के। दादागिरी तो ठीक है यहाँ पे चमचागिरी बी भोत होती है, बच्चे यहाँ पे बस 4 या 5 साल के हुए नी की उतर आते है दादगीरी और चमचागिरी में। शुरू हो जाते है उनके डायलॉग्स और दादागिरी करने वाले अपने चमचे से केते नजर आते है बड़े क्या हाल, और चमचे का जवाब बस छोटे सब तेरी दुआ है। मतलब हद करते है सब के सब। यहाँ पे जैसी दादागिरी होती है ना वैसी कहीं और नी होती होएगी।
साला हर बात पे तो दादागिरी करते है लोग। स्कूल से लेके कालेज तक बस दादागिरी ही चलती है। जो पढ़ते लिखते नी है वो दादागिरी में चले जाते है। क्योंकि उनको पता है उसे होना हुवाना तो कोई है नी तो दादा पेलवान ही बन जाओ कम से कम लोग डरेंगे तो। इंदौरी ऐसे ही है भिया।
इंदौरी तड़का : बड़े इस टेम तो बस लस्सी और कोक मिल जाए, भोत है
इन्दौरी तड़का : बड़े यहाँ पे पांच मिनट का मतलब एक घंटा मान लो
इन्दौरी तड़का : भिया अब तो सूबे सूबे चाय के लिए बी भटकना पड़ रिया है