दुनिया के लिए वो महिला जिन्दा ही नहीं जो विधवा हो जाए
एक विधवा की जिंदगी सफेद रंग में सिमट जाती है और उसके बाद वह हमेषा सफेद रंग में ही सिमटी रहती है. एक समय ऐसा हुआ करता था जब विधवाओं की दुनिया को हमारी दुनिया से अलग कर दिया जाता था और आज भी वह परम्परा कायम है. आज भी विधवाओं की दुनिया हमारी दुनिया से बहुत अलग होती है उन्हें हमारी हंसती-खेलती दुनिया से बाहर रखा जाता है और उन्हें केवल मायूस रहने के लिए कहा जाता है. कई ऐसे लोग है जो विधवाओं का सपोर्ट करते हैं और उन्हें रीति-रिवाजो की बंदिशों को तोड़कर आगे बढ़ने के लिए कहते हैं लेकि दुनिया वाले ये मैंने के लिए कहा तैयार होते है.
आज कई विधवाओं की दूसरी शादी करवा दी जाती है लेकिन कई ऐसे लोग भी है जो अब भी वहीँ दकियानूसी रिवाजों को लेकर बैठे है. आज के समय में जो महिलाए विधवा हो जाती है उन्हें घर से निकाल दिया जाता है, कहीं उन्हें अपने मायके वापस भेज दिया जाता है, तो कहीं उन्हें अनाथाश्रम में भेज दिया जाता है क्योंकि वह अब एक बोझ बन चुकी हैं और उनका पालन पोषण कौन करेगा.
कई ऐसे गाँव आज भी है जहाँ बचपन में ही लड़कियों की शादी करवा दी जाती है और उसके बाद अगर वह विधवा हो जाती है तो उन्हें अपनी जवानी और बुढ़ापा सब विधवा बनकर बिताना पड़ता है.