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श्रेया को मिली नयी ज़िन्दगी

india's first hand transplant surgery successful in kochi

आधुनिकता के इस दौर में तकनीक काफी आगे निकल चुकी है. आधुनिक तकनीक की मौजूदगी में जो आप सोच रहे हो वो चीज़ पल भर में आपकी आँखों के सामने आ सकती है. जो आप सोच नहीं सकते, वैसा असल जिंदगी में हो सकता है. जब तक आस रहती है विज्ञान तब तक प्रयास करता रहता है, कई बार ये असफल हो जाते हैं तो कई बार सफल.

 

 

 

हाल ही में एक घटना सामने आयी जहां पुणे की श्रेया ने एक हादसे के दौरान अपने दोनों हाथ खो दिए. वो जिंदा तो बच गई लेकिन जिंदा रहने की आस मर गई थी क्योंकि बिन हाथों के जिंदगी बेझिल हो रही थी.

तभी डॉक्टरों ने एक कोशिश की एक नया एक्सपेरिमेंट किया और श्रेया की जिंदगी पटरी पर लौटती हुई दिखाई दी.

श्रेया एशिया की पहली ऐसी पेशेंट हैं जिसके हाथ ट्रांसप्लांट किए गए हैं. एशिया में पहली बार किसी के कोहनी के नीचे के हिस्से को ट्रांस्प्लांट करके बदला गया है.

श्रेया के हाथों को साथ मिला सचिन के हाथ का. सचिन नाम के डोनर की मौत के बाद डॉक्टरों की एक टीम ने (जिसमें 20 सर्जन और 16 एनिस्थिस्ट शामिल थे) 13 घंटों के लंबे ऑपरेशन के बाद श्रेया के हाथ जोड़े.

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