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इस वजह से द्रोपदी के चीरहरण के दौरान चुप थे भीष्म पितामह

why bhism pitamah did not protect draupadi

महाभारत में बहुत सी ऐसी घटनाएं हुईं हैं जिसके बारे में आप सभी जानते ही होंगे. ऐसे में कुछ ऐसे बातें होतीं हैं जो बहुत अनजानी सी होती है और जिन्हे कोई नहीं जानता. ऐसे में महाभारत व्यक्ति को रिश्तों और जीवन जीने के सही मायने बताता हैं और इसी के साथ महाभारत में द्रौपदी के चीरहरण का प्रसंग एक ऐसी घटना मानी जाती हैं, जिसने कौरवों के अंत की पूरी कहानी लिखने वाला कुरुक्षेत्र का युद्ध कराया. जी हाँ, आप जानते ही होंगे महाभारत में द्रौपदी के चीरहरण के दौरान बुद्धिमान योद्धाओं में से एक भीष्म पितामह थे लेकिन चीरहरण के दौरान भीष्म पितामह मौन थे और इसका कारण बहुत कम लोग जानते हैं. तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर क्यों भीष्म ने पांडवों के इस घृणित कार्य का विरोध नहीं किया.

इतिहास

आप सभी को बता दें कि महाभारत की एक घटना के मुताबिक जब भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहे थे, तो द्रौपदी ने उनसे यह सवाल किया था कि आखिर वे अतीत में हो रहे पाप पर मौन धारण किये खड़े थे. वे अगर चाहते तो इसको रोक सकते थे. उसके बाद महाभारत के युद्ध की परिस्थिति ही नहीं आती. 

इस बात को सुनकर भीष्म पितामह ने दुखी होकर द्रौपदी को उत्तर देते हुए कहा, ''मनुष्य जैसा अन्न ग्रहण करता हैं उसकी बुद्धि और विवेक भी वैसा ही हो जाता हैं मैंने समस्त जीवन पापियों का अन्न ग्रहण किया इसीलिए मेरी बुद्धि उस समय कुंद हो गई और मैं अन्याय को अपने समक्ष होता देख भी चुप रहा. मैं कौरवों का ऋणी था और यही मेरे मौन का मुख्य कारण था.''

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