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यहाँ जानिए शिवलिंग का अर्थ, इस मंदिर में नहीं होती पूजा

What is the meaning of Shivling

आज के समय में कई ऐसी बातें हैं जो पुराने रीती रिवाजों से जुडी है. ऐसे में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 76 किलोमीटर दूर एक ग्राम सभा बल्तिर में भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर एक हथिया देवाल स्थित है. कहते हैं इसे अभिशप्त शिवालय मानते हैं क्योंकि ये मंदिर एक ही रात में बना है और इसे बनाने वाले कारिगर का एक ही हाथ था. कहा जाता है उसने एक ही हाथ से पूरा मंदिर बनाया है इस कारण से इसे एक हथिया देवाल कहा जाता है. कहते हैं इस मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं पर पूजा कोई नहीं करता क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो भी इस शिवलिंग की पूजा करेगा, उसके लिए यह फलदायक नहीं होगी. आप सभी को बता दें कि शिवलिंग को लेकर वैसे ही कई मान्यताएं हैं जो इस प्रकार हैं. 

कहते हैं शिवलिंग का अरघा यानी जलाधारी उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए और शिवलिंग की परिक्रमा आधी ही की जाती है क्योंकि पूरी परिक्रमा करना से दोष लगता है.

कहा जाता है शिवलिंग की परिक्रमा बांए हाथ की ओर से शुरू करनी चाहिए और शिवलिंग पर केवड़ा और चंपा के फूल नहीं चढ़ाए जाते हैं. वहीं घर में शिवलिंग की स्थापना नहीं करनी चाहिए उन्हें अपने घर के बाहर रखना चाहिए.

शिवलिंग क्या है

शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्मांड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है और स्कन्दपुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है. इसी के साथ शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्मांड (क्योंकि, ब्रह्मांड गतिमान है) का अक्ष/धुरी ही लिंग है और शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है न ही शुरुआत. कहा जाता है शिवलिंग का अर्थ लिंग या योनि नहीं होता ..दरअसल ये गलतफहमी भाषा के रूपांतरण और भ्रमित लोगों द्वारा हमारे पुरातन धर्म ग्रंथों को नष्ट कर दिए जाने तथा अंग्रेजों द्वारा इसकी व्याख्या से उत्पन्न हुआ है और शिवलिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है.

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