इन्दौरी तड़का : बड़े अपनी ज़िंदगी बी इयरफोन जैसी हो गई है उलझी ही रेती है
Indori Tadka : बड़े ज़िंदगी है की इयरफोन कुछ सम्पट ही नई पड़ता है ऐसी उलझी रेती है की क्या कहूं। पूरा दिन इसी को सुलझाते रेते है। बड़े हम इन्दोरियों की तो ज़िंदगी कसम से इयरफोन जैसी ही हो गई है दिनभर उलझी उलझी रेती है। कोई सुख ही ना है दिनभर काम और फिर सोना, सूबे फिर उठना और फिर वहीँ काम। कुछ है ही ना ज़िंदगी में। बस ईरफ़ोन है जो ज़िंदगी बन गई है उलझकर रे जा री है। बड़े ये हाल बस इंदौरियों के ही ना है मेको तो लगता है सबकी ज़िंदगी इयरफोन हो गई है उलझी उलझी कोई सुलझाने वाला बी ना है। और जो सुलझाता है वो और उलझ जाता है उसी में। मतलब कबि कबि तो ऐसी हंसी आती है की क्या बतऊ। इंदौर वालो को आप किसी से बी पूछ लो की भई कैसी है ज़िंदगी तो उनका जवाब रेगा सारी कैसेट ही उलझी है भिया। बड़े यहाँ पे सबकी कैसेट उलझी ही रेती है कोई की सुलझी मिल जाए तो बोलियों।
बड़े सबकी एक ही ज़िंदगी हो गई है कोई की साई साट तो है ही ना। बड़े कसम से जब बी यहाँ पे ईरफ़ोन नजर आता है सबसे पेले ज़िंदगी ही याद आती है। बैंड बजी पड़ी है सबकी बावा। बचपन ही बढ़िया था कोई टेंशन ना जैसे ही बड़े हो गए है ज़िंदगी ईरफ़ोन हो गई है। कोई सुलझाए तो वो खुद हे उलझ जाए ऐसी हालत है भिया।
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