इन्दौरी तड़का : सुबे से लेके शाम तक इंदौर में लोगों की ज़िन्दगी झंड रेती है
इंदौरी तड़का : ओ भिया सूबे की राम राम। हाँ तो भिया पेले तो सूबे सूबे की नींद माँ के डायलॉग से खुलती थी और अब की बात कर लो। भिया ये स्वच्छता अभियान वालो ने तो जीना हराम कर दिया है अब सूबे की नींद स्वच्छता अभियान के गाने सुनके खुलती है साला रोज वोई वोई "स्वच्छ भारत का इरादा इरादा कर लिया हमने, देश से अपने ये वादा ये वादा कर लिया हमने"। अब कोई और गाना तो नी, पन ये गाना मेरेको ऐसा रट गया है ना की कई बोलू। यार चच्चा यार ये अलग नी मान रिए है। इनकी गाडी दिनभर में दस बार मेरे घर आती है साल कचरा तो इतना होता नई है कहाँ से दूँ, मेरेको समझ नी आता कचरा लेने आती है की गाना सुनाने।
अब उसके बाद सूबे उठके नहाने की अलग मगजमारी होती है। साल नी नहाना हो तो बी माँ चिल्लाती है नहा ले एक हफ्ते हो गए है नहाए तुझे, कुछ शर्म लिहाज बचा है की नी तुझे। मतलब हद है यार भिया यार मेरेको तो एक ही हफ्ता हुआ है यहाँ लोग बीस-बीस दिन तक नई नहाते तो कुछ नी, मैंने एक हफ्ते नई नहाया तो साला मेरी माँ ने पुरे घर में तहलका मचा दिया।
रे बावा ये माँ बी ना बोत परेशान करती है। घर में रओ तो बोलती है घुमा करो और घूमो तो बोलती है दिनभर कोई काम नी है बस घूमना घूमना घूमना। अब इससे बचके थोड़े अग्ग्गे निकलो तो ये इंदौर का ट्रेफिक मतलब लग गई अपनी। अगर यहाँ फंस गए तो समझो गए। कबि कोई ठोक देता है तो कबि कोई, मतलब सम्पट ही नी पड़ता मेको तो की जउ का ? जैसे तैसे नी नी करके ऑफिस पोचो तो जाके कहीं सुकून मिलता है और जैसे ही फिर बॉस की शक्ल सामने आती है सारी ज़िन्दगी की वाट लग जाती है एक तो साला सूबे से ज़िन्दगी झंड रेती है और फिर ऑफिस आके ये बॉस अपनी हंसती हुई शक्ल दिखाके और झंड कर देता है।
जैसे तैसे ऑफिस के मेटर से निपटना पड़ता है। उसके बाद लंच की शक्ल देखके तो ऐसा लगता है की सालो से यइ लौकी पेल रे है और यइ अब जन्मसिद्ध अधिकार है इसी को ज़िन्दगी भर पेलना है। यार भिया ज़िन्दगी तो साली इतने दर्द दे री है जैसे इसको किसी ने मेरी सुपारी दी हो। किन्ने भगवान को बोला था रे की ये पृथ्वी पे जीवन दो। मेरेको बताओ मैं अबी उसकी...बाकी तो भिया आप हो ही समझदार।
इंदौरी तड़का : नी नी ताऊ वो मेरा दोस्त नी भई है भई
इन्दौरी तड़का : भिया दंगल इंदौर में बनती तो और भी भेतरीन होती, सईं है ना ??
इंदौरी तड़का : यार भिया यार तुम अलग नी मान रिए हो, बोला ना तुमसे नी हो पाएगा
इंदौरी तड़का : चच्चा रंजीत भिया अपन को पागल बना रिए है मेरेको तो लगता है प्रभु देवा के भई है वो