आखिर क्यों रेल की पटरियों के बीच में डाले जाते है पत्थर
दुनिया में ना जाने कितनी ही जानकारियां हैं जिनके बारे में हम नहीं जानते. जी हाँ, दुनियाभर में जानकारियों का खजाना भरा पड़ा हैं लेकिन बहुत ही कम ऐसी जानकारियां हैं जिनसे हम वाकिफ हैं. ऐसे में आज हम भी आपको कुछ ऐसी जानकारी देने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद ही आप जानते होंगे या शायद ही आपने कभी सुना होगा.
जी हम आज आपको बताने जा रहे हैं कि जब हम ट्रैन से सफर करते हैं तो उस दौरान ट्रैन की पटरियों के बीच में पत्थर पड़े होते हैं उन पत्थर के पड़े रहने का क्या मतलब होता हैं..? हम सभी जब सफर करते हैं या फिर ट्रैन की पटरियों के बीच में जाते हैं तो उस दौरान वहां बहुत ज्यादा मात्रा में पत्थर होते हैं उनके होने का कारण क्या होता हैं, यह बहुत कम लोग जानते हैं. आइए आज हम आपको बताते हैं क्या होता हैं उनके पटरियों के बीच में पड़े होने का कारण..? जी दरअसल में जब ट्रैन चलती है तो उससे जमीन और पटरियों के बीच में कम्पन पैदा होता है.
पटरियां तेज धुप की वजह से फैलती हैं, वहीं जब सर्दी होती हैं तो पटरियां सिकुड़ जाती हैं. मौसम में बदलाव होने के साथ पटरी के आस-पास जंगली घास भी उग जाती है, जिससे ट्रैन को चलने में परेशानी हो सकती हैं. ट्रैन की पटरियों के बीच में जो पत्थर होते हैं वो लकड़ी के प्लैंक को जकड़ कर रखते हैं और लकड़ी के प्लैंक पटरियों को मजबूती से जकड़े रखते है. पत्थर नुकीले होते हैं इस वजह से लकड़ी के प्लैंक उन पर फिसलते भी नहीं हैं. ट्रैन जब चलती हैं तो उसका पूरा जोर लकड़ी के प्लैंक पर रहता है और आगे जाकर पत्थर पर चला जाता है. पटरियां जब बिछाई जाती हैं तो उनमे पहले पत्थर डाले जाते हैं और फिर लकड़ी के प्लैंक.