क्यों पड़ते हैं केले पर भूरे निशान
ज्यादातर लोग भूरे निशान या चित्ती (Brown Spots) वाले केले खाने से बचते हैं. जी हाँ और कई घरों में ये निशान पड़ते ही इन केलों (Banana) को फेंक दिया जाता है. जी दरअसल इन पर ये निशान क्यों पड़ते हैं और इसे कैसे अधिक पकने से रोका जा सके, इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने रिसर्च की. अब वैज्ञानिकों का कहना है, दुनियाभर में हर साल करीब 5 करोड़ टन केला इसलिए फेंक दिया जाता है क्योंकि उन पर भूरे निशान पड़ चुके होते हैं. जी हाँ और अब इस वेस्टेज को रोका जा सकता है. जी दरअसल यह दावा अमेरिका की फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी (Florida State University) के शाेधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है.
भूरे निशान की वजह?-
जी दरअसल वैज्ञानिकों का कहना है, केले पर पड़ने वाले भूरे निशान बताते हैं कि यह पक चुका है. हालाँकि इसके छिलके पर ऐसे निशान क्योंं पड़ते हैं, इसकी वजह पता चल गई है. जी दरअसल ऐसा नहीं है कि दूसरे फलों के साथ ऐसा नहीं होता. जैसे- सेब को काटने के बाद वह भूरा पड़ने लगता है, लेकिन केले के साथ ऐसा नहीं है. इसमें भूरे रंग के निशान पड़ने की वजह कुछ और है. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, केले के छिलके में एथिलीन गैस होती है. यह इसमें मौजूद क्लोरोफिल को तोड़ती है. वहीँ क्लोरोफिल केले के हरे होने के लिए जिम्मेदार होता है. जैसे-जैसे केले के छिलके में एथिलीन गैस की मात्रा बढ़ती है और वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन से रिएक्शन होता है, वैसे-वैसे इसका हरापन कम होता जाता है.
इसके साथ ही इसमें मौजूद स्टार्च शुगर में कंवर्ट हो जाता है. नतीजा, केले में मिठास बढ़ जाती है. इसके अलावा वैज्ञानिकों का कहना है, ज्यादातर लोगों को लगता है कि केले पर ब्राउन स्पॉट पड़ने पर यह खाने लायक नहीं रहता, जबकि ऐसा नहीं है. तब भी इसे खाया जा सकता है और बेकरी प्रोडक्ट बनाने में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीँ अगर केले के छिलके पर मोम की पतली पर्त चढ़ाई जाए तो इनमें ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती और रिएक्शन नहीं होता. ऐसे में नतीजा यह रहता है कि इन पर ब्राउन स्पॉट पड़ने की गति काफी धीमी हो जाती है. इस तरह करोड़ों टन केलों को खराब होने से रोका जा सकता है.
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