बातूनी दोस्त कुछ ऐसे ही होते है जो बर्दाश्त से बाहर होते है
दिनभर बोलते रहता है और आपको चुप रहना पड़ता है।
उसे घर ले जाने के नाम से आपका मुँह बनने लगता है।
फ़ोन पर बात रने का मन ही नहीं होता क्योंकि वो फ़ोन पर चिपक जाता है।
उसके जोक पर हंसी नहीं आती क्योंकि वो एक ही जोक बार बार सुनाता है।