इन्दौरी तड़का : बड़े लग रिया है ये गर्मी जान निकाल लेगी
Indori Tadka : बड़े सच्ची में इत्ती गर्मी है की अगर जरा सी बी घर से बाहर निकल जाओ तो लगता है आग के गोलों की बारिश हो री है। कसम से सम्पट ही नी पड़ रिया है की जऊ कहाँ ? इत्ती गर्मी तो कहीं नी पड़ री होगी जित्ती ये अपने इंदौर में पड़ री है। क्या पता कहाँ से आरी है इत्ती गर्मी। जहाँ देखो वई पे लोग गरम हुए जा रिए है। घर में पंखे के नीचे से जरा सा बाहर क्या जाओ ऐसा लगता है जैसे किसी ने नर्क की आग में धक्का दे दिया हो और हम उसी में पड़ गये हो सब कुछ धुंधला नजर आता है और ऊपर से शरीर तो ऐसा चेटता है की क्या कहूं। लेकिन इस बार जैसी गर्मी कबि नई पड़ी भगवान कसम इस बार जो सई साट गर्मी होरी है ना की लग रिया है कश्मीर वाश्मीर जाना ही पडेगा। भिया गर्मी का मौसम है तो गर्मी ही पड़ेगी ना बर्फ तो नी पड़ेंगी।
लेकिन बड़े इत्ती गर्मी तो हद कर री है कसम से इत्ता बी कोई गर्म करता है क्या ? इस गर्मी ने तो इस बार जान ही ले लेनी है अपनी कसम से इत्ता जादा गर्म तो आग बी नी करती जित्ता ये गर्मी कर री है। बड़े बस रसना और कोल्ड ड्रिंक की वजह से ज़िंदा है हम वरना कब के परलोक सिधार गए होते है ऐसी भन्नाट गर्मी है।
इन्दौरी तड़का : माँ से डर नी लगता भिया माँ की चप्पल से लगता है
इन्दौरी तड़का : नी भिया इत्ती गर्मी में तो कहीं नी जवाएगा