इन्दौरी तड़का : 56 कबी खाली नी रेता है इंदौर का
हाँ बड़े इंदौर वालो को खाने के अलावा कुछ नजर ही नी आता है हर घर के आधे मेंबर यां पे 56 पे हे मिलते है और खाने के तो ऐसे शौकीन्स है सब की क्या बोलो मतलब हद ही कर देते है दिनभर खाना , खाना, खाना। सूबे से लेके रत तक यां पे भीड़ ही लगी रेती है कबि खत्म ही नी होती है। मतलब कसम से ऐसे ऐसे भुक्खड़ लोग है ना इंदौर में की क्या बोलो। ऊपर से सब के सब एक नम्बर एक ऐबले है। मतलब खाना तो खाना सोने के बी ऐसे दीवाने है कि सोने के लिए बी इनको 56 ही नजर आता है मतलब वां पे जाओ तो कुछ खाते नजर आएँगे तो कुछ सोते। बड़े इंदौर वालों को हर काम में खाने की पेले पड़ती है फिर बाकी। मतलब इनको तुम उपवास में बी देखो ना तो ये खाते ही नजर आएँगे।
उपवास तो इनसे रखवाता ही नी है मतलब उपवास में बी इनको दिनभर में 10 बार तो फरियाल चिए रेता है। बड़े कसम से जित्ता इंदौर वाले खा लेते है ना उत्ता तो कोई खा बी नी पता होयगा। अब हो बी क्या इंदौर में जो बी खाने का मिलता है एकदम सईसाट ही मिलता है।
इन्दौरी तड़का : बड़े इंदौर वाले खाने के लिए बस सराफा, अपना और गुरुकृपा जाते है
इन्दौरी तड़का : बड़े इंदौर वालों को बक बक करने की आदत है
इन्दौरी तड़का : भिया मन नी लग रिया, तो चलो ये जगो
इन्दौरी तड़का : इन इंदौरियों को खाने में कोई हरा नी सकता बॉस