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नवरात्र के छटवें दिन जरूर जानिए माँ कात्यायनी के जन्म की कहानी

Navratri Special Maa Katyayani Devi birth story logical

आजकल शारदीय नवरात्र चल रहे हैं और नवरात्र के 6वें दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कत्यायनी का पूजन किया जाता है. ऐसे में नवरात्र की षष्ठी तिथि 4 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 35 मिनट तक रहेगी और आज हम आपको बता रहे हैं कि कल यानी 4 अक्टूबर को मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जायेगी और माता कात्यायनी मन की शक्ति की देवी है और माता कात्यायनी की उपासना से सभी इन्द्रियों को वश में किया जा सकता है. कहा जाता है ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाता है.

आप सभी को बता दें कि कात्यायनी मां के इस रूप के प्रकट होने की बड़ी ही अनोखी कथा है और आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस कथा के बारे में. इस कथा के अनुसार देवी के इसी स्वरूप ने महिषासुर का मर्दन किया था और देवीभाग्वत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा गृहस्थों और विवाह के इच्छुक लोगों के लिए बहुत ही फलदायी है.

कथा

पुराणों के अनुसार मां दुर्गा ने कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, इस कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ गया. मां कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं. यह दानवों, असुरों और पापी जीवधारियों का नाश करने वाली देवी कहलाती हैं. आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन उन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा को ग्रहण कर मां ने दशमी के दिन महिषासुर की वध किया. कहते हैं मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं और इसी के साथ ही शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए.

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