क्यों लगता है सूर्य ग्रहण, जानिए यहाँ
आप सभी को बता दें कि आने वाले 21 जून को सूर्य ग्रहण लगने वाला है. ऐसे में सूर्य ग्रहण लगने का कारण पौराणिक है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं. उस कथा के बारे में जिसमे यह बताया गया है कि सूर्य ग्रहण क्यों लगता है.
![कथा](https://viral.newstracklive.com/uploads/june2020/hneNrekHZX1592648187.jpg)
कथा
जब दैत्यों ने तीनों लोक पर अपना अधिकार जमा लिया था, तब देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी थी. तीनों लोक को असुरों से बचाने के लिए भगवान विष्णु का आह्वान किया गया था. तब भगवान विष्णु ने देवताओं को क्षीर सागर का मंथन करने के लिए कहा और इस मंथन से निकले अमृत का पान करने के लिए कहा. भगवान विष्णु ने देवताओं को चेताया था कि ध्यान रहे अमृत असुर न पीने पाएं क्योंकि तब इन्हें युद्ध में कभी हराया नहीं जा सकेगा.
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भगवान के कहे अनुसार देवताओं मे क्षीर सागर में मंथन किया. समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर देवता और असुरों में लड़ाई हुई. तब भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण कर एक तरफ देवता और एक तरफ असुरों को बिठा दिया और कहा कि बारी-बारी सबको अमृत मिलेगा. यह सुनकर एक असुर देवताओं के बीच भेष बदल कर बैठ गया, लेकिन चंद्र और सूर्य उसे पहचान गए और भगवान विष्णु को इसकीजानकारी दी, लेकिन तब तक भगवान उस अमृत दे चुके थे. अमृत गले तक पहुंचा था कि भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से असुर के धड़ को सिर से अलग कर दिया, लेकिन तब तक उसने अमृतपान कर लिया था. हालांकि, अमृत गले से नीच नहीं उतरा था, लेकिन उसका सिर अमर हो गया. सिर राहु बना और धड़ केतु के रूप में अमर हो गया. भेद खोलने के कारण ही राहु और केतु की चंद्र और सूर्य से दुश्मनी हो गई. कालांतर में राहु और केतु को चंद्रमा और पृथ्वी की छाया के नीचे स्थान प्राप्त हुआ है. उस समय से राहु, सूर्य और चंद्र से द्वेष की भावना रखते हैं, जिससे ग्रहण पड़ता है.
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