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यहाँ भगवान श्रीकृष्ण के महल पर बना है द्वारकाधीश मंदिर

Janmashtami 2020 date significance and history of dwarkadhish temple

दुनियाभर में कई मंदिर हैं जिनके बारे में आपने सुना होगा. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं श्री कृष्णा के मंदिर के बारे में. जी दरअसल आज यानी 11 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है और यह पर्व कल भी मनाया जाने वाला है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान श्रीकृष्ण के महल पर बने द्वारकाधीश मंदिर के बारे में. आइए जानते हैं. जी दरअसल पौराणिक मान्यता है की आज से बीते पांच हजार साल पहले भगवान कृष्ण ने द्वारका नगरी बसी थी. 

वहीं श्री कृष्ण का निजी महल हरि गृह पर ही द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण हुआ था. आप सभी को बता दें कि यहाँ द्वारकाधीश मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की श्यामवर्णी चतुर्भुज प्रतिमा है, और यह चांदी के सिंहासन पर बैठे हुए हैं. यहाँ प्रतिमा में कृष्ण अपने हाथों में शंख, गदा, चक्र और कमल लिए हुए हैं. वहीं कहा जाता है पुरातात्विक खोज के दौरान इस मंदिर को 2,000 से 2,200 साल पुराना कहा जाता है. यह मंदिर 'चूना-पत्थर से बना हुआ सात मंजिला है और इसकी ऊंचाई करीब 157 फीट है. जी दरअसल इस मंदिर में श्री कृष्ण की जीवन लीलाओं का चित्रण है और इसी तरह से इसकी बाहरी दीवारों की सजावट की गई है. वहीं इस मंदिर के दो प्रवेश द्वार हैं जिनमे दक्षिण दिशा वाले द्वार को स्वर्ग कहते है. वैसे यहाँ पर तीर्थ यात्री आमतौर पर इसी द्वार से आते हैं.

इसके अलावा उत्तर की तरफ, जो द्वार है उसे मोक्ष द्वार कहते हैं और यह द्वार गोमती नदी के 56 तटों की ओर ले जाने वाला है. मंदिर के दक्षिण में भगवान त्रिविक्रम का मंदिर है जिसमे राजा बलि तथा सनकादि चारों कुमारों की मूर्तियों के साथ-साथ गरुड़ जी की मूर्ति स्थापित है. जी दरअसल मंदिर के उत्तर में प्रधुम्न जी की प्रतिमा और उसके पास ही अनिरुद्ध व बलदेव जी की मूर्तियां भी स्थित है. इस मंदिर की पूर्व दिशा में दुर्वासा ऋषि का मंदिर है और यह पूरा दृश्य बड़ा अद्भुत है.

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