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जापान में भी की जाती है माँ सरस्वती की पूजा

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आप सभी को बता दें कि जापान में देवी सरस्वती के कई मंदिर हैं और इस देश के ओसाका नामक स्थान पर मंदिर है. कहते हैं यहां देवी सरस्वती का नाता सीधे तौर पर कला, विद्या और ज्ञान से नहीं बल्कि जल, समय, शब्द, भाषण और वाक्पटुता से जोड़कर देखा जाता है. कहते हैं देवी सरस्वती का जल से संबंध होने का एक कारण शायद यह हो सकता है कि सरस्वती एक पौराणिक नदी रही है. यहीं कारण माना जाता है कि जापान में देवी सरस्वती की पूजा तालाब, जलाशय यानी सरोवर की देवी के रूप में होती है. 

आप सभी को बता दें कि जापान में देवी सरस्वती का नाम बेंजाइटन है, यह एक जापानी बौद्ध देवी हैं. इसी के साथ ऐसा कहते हैं कि उनका स्वरूप सरस्वती से मिलता है और जापान में बेंजाइटन देवी की पूजा 6-7वीं शताब्दी से शुरू हुई.

वहीं देवी बेंजाइटन एक विशाल कमल के फूल पर बैठी थी और उन्होंने अपने हाथ में जापान की परंपरागत वीणा धारण किया हुआ है, जिसे वहां 'वीवा' कहते हैं. वहीं ऋग्वेद के अनुसार देवी सरस्वती का वाहन राजहंस है और वह सफेद कमल पुष्प पर विराजित होती हैं और जापान की बेंजाइटन देवी के समीप कमल के अतिरिक्त ड्रेगन भी दिखाई देते हैं. आप सभी को बता दे कि जापान के लोग यह भी मानते हैं कि देवी बेंजाइटन ने ही इस प्रकृति, जीव और ब्रह्मांड की उत्पत्ति की है और जापान के हिरोशिमा में इत्सुकुशुमा मंदिर, कानागावा में इनोशिमा मंदिर और शिंगा में होगोन-जी मंदिर, देवी बेंजाइटन की प्रमुख मंदिर बनाए गये हैं.

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