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इस वजह से भगवान गणेश ने दे दिया था चन्द्रमा को श्राप

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इन दिनों सभी जगह गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जा रहा है. ऐसे में इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 2 सितंबर से लेकर 12 सितंबर तक चलने वाला है और इस पर्व को खत्म होने में अब केवल 3 दिन बचे हैं. ऐसे में इस पर्व को लेकर खूब धूम धाम है और इसी के साथ इस पर्व से एक खास तरह की मान्यता भी जुड़ी हुई है, जो यह है कि गणेश चतुर्थी के दिनों में चांद देखना वर्जित है और इसे एक अभिशाप माना जाता है. जी हाँ, अब आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं. 

गणेश पुराण के अनुसार, ''एक बार भगवान श्री कृष्ण ने भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन खूबसूरत चांद को देख लिया. फिर कुछ ही दिनों बाद उन पर हत्या का झूठा आरोप लगा. श्रीकृष्ण को बाद में नारद मुनि ने बताया कि ये कलंक उन पर इसलिए लगा है क्योंकि उन्होंने चतुर्थी के दिन चांद देख लिया.'' वहीं गणेश पुराण में एक कथा और भी है जिसके अनुसार, ''बप्पा के सूंड़ वाले चेहरे को देखकर एक बार चांद भगवान को हंसी आ गई थी. इसपर गणपति भगवान नाराज हो गए और उन्हें श्राप दे दिया. उन्होंने कहा कि, तुम्हे अपनी खूबसूरती पर बहुत गुरुर है... आज मैं तुम्हे श्राप देता हूं कि आज के दिन तुम्हें जो भी देखेगा उसे कलंक लगेगा.''

कहते हैं उसके बाद चंद्रमा को अपनी गलती का अहसास हुआ और वे घर में जाकर छिपकर बैठ गए. सभी देवताओं ने चन्द्रमा को मनाया और उन्हें समझाया कि वे मोदक और पकवान बनाकर गणेश जी की पूजा अर्चना करें. इससे गणेश खुश तो हुए लेकिन उन्होंने कहा कि श्राप पूरी तरह खत्म नहीं होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को याद रहे कि किसी के रुप रंग को देखकर उपहास नहीं उड़ना चाहिए.

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