लंगूर के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ पूरा गांव
इस दुनिया में कई ऐसे इंसान है जिन्हे जानवरो से बहुत प्यार होता है. अपने पालतू जानवर के लिए तो ये लोग अपनी जान भी दाव पर लगा देते है. आमतौर पर लोग कुत्तो को पालना ज्यादा पसंद करते है. लेकिन गांव में अगर हम देखे तो यहाँ गाय, भैस आदि बहुत से जानवर पाले जाते है. आज हम आपको एक ऐसे ही लंगूर की कहानी बता रहे है. ये लंगूर कानपुर बिल्हौर के वछना गांव में सभी का चहेता था. लेकिन इस लंगूर की करंट की चपेट में आने से मौत हो गई. यहाँ के लोगो ने इस लंगूर की तेरहवी का कार्यक्रम पुरे विधि-विधान के साथ किया था.
इस लंगूर की 13 दिन पहले करंट लगने से मौत हो गई थी. और पिछले मंगलवार को सारे विधि-विधान से गांव के ही स्वामी नारायण आश्रम में इसका तेरहवी संस्कार किया.
इस लंगूर की तेरहवी में गांव के करीब 200 ग्रामीणों भोज कार्यक्रम में हिस्सा लिया. भोज कार्यक्रम में पूड़ी, सब्जी और मिठाई खाने में परोसी गई थी. और नियम के अनुसार पहले बड़े बुजुर्ग और कन्याओ को भोजन करवाया फिर सभी ने भोजन किया.
गांव के ही रहने वाले अमित द्विवेदी, जयप्रकाश अवस्थी ने बताया कि पहले बंदरों का आतंक था. आश्रम में पले लंगूर की वजह से बंदर गांव में नहीं आते थे. किसी ग्रामीण को शिकार भी नहीं बनाते थे. गांव के हर घर से लंगूर का आना जाना था. इस लिए लोगों का उससे भावनात्मक जुड़ाव हो गया था. इस लिए उसकी आत्मा की शांति के लिए भोज में आयोजन किया गया.
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