नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ क्यों बोए जाते जौ, जानिए लॉजिक?
नवरात्रि का पर्व चल रहा है और आज नवरात्रि का चौथा दिन है। नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ ही जौ बोए जाते हैं। जी दरअसल ऐसा कहा जाता है कि इसके बिना मां अंबे की पूजा अधूरी रह जाती है। जी हाँ, वहीं कलश स्थापना के साथ जौ बोने की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है लेकिन इसके पीछे लॉजिक क्या है यह आपको शायद ही पता होगा! तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके पीछे के लॉजिक के बारे में। क्यों बोए जाते हैं जौ- जौ को भगवान ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की तब वनस्पतियों में जो फसल सबसे पहले विकसित हुई थी वो थी ‘जौ’।
इस वजह से नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के समय जौ की सबसे पहले पूजा की जाती है और उसे कलश में भी स्थापित किया जाता है। जी दरअसल सृष्टि की पहली फसल जौ को ही माना जाता है, इसलिए जब भी देवी-देवताओं का पूजन या हवन किया जाता है तो जौ ही अर्पित किए जाते हैं। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जौ अन्न यानी ब्रह्मा के सामान है और अन्न का हमेशा सम्मान करना चाहिए।
इसलिए पूजा में जौ का इस्तेमाल किया जाता है। आपको बता दें कि नवरात्रि में कलश स्थापना के दौरान बोए गए जौ दो-तीन दिन में ही अंकुरित हो जाते हैं, हालाँकि अगर ये न उगे तो भविष्य में आपके लिए अच्छे संकेत नहीं है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि दो-तीन दिन बाद भी अंकुरित नहीं होते तो इसका मतलब ये है कि आपको कड़ी मेहनत के बाद ही उसका फल मिलेगा।
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