आखिर क्यों शिव जी को लगाते हैं त्रिपुण्ड, जानिए इसके फायदे
हिंदू (Hindu) धर्म में देवी-देवताओं की पूजा में प्रयोग लाए जाने वाले तिलक का बहुत महत्व है. जी हां और आस्था (Faith) से जुड़े हुए इस तिलक को जब साधक अपने आराध्य को समर्पित करने के बाद खुद अपने माथे पर लगाता है तो उसके सौभाग्य में वृद्धि होती है. इसी वजह से आम आदमी से लेकर सिद्ध संत सदियों इसका प्रयोग सदियों से करते चले आ रहे हैं. आप सभी को बता दें कि हिन्दू धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए न सिर्फ अलग-अलग प्रकार के तिलक (Tilak) बल्कि अलग-अलग प्रकार के आकार वाला तिलक लगाया जाता है.
ऐसे में अगर बात करें औढरदानी भगवान शिव की तो उन्हें लगाया जाने वाला तिलक त्रिपुंड (Tripund) कहलाता है. अब आज हम आपको बताते हैं आखिर क्यों शिव जी को लगाया जाता है त्रिपुंड. आप सभी को बता दें कि भगवान शिव की मूर्ति या फिर शिवलिंग पर बनी तीन रेखाओं के तिलक को त्रिपुण्ड कहा जाता है. इसे हथेली अथवा किसी पात्र में चंदन या फिर भस्म रखकर तीन अंगुलियों की मदद से बनाया जाता है.
जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि त्रिपुंड की प्रत्येक एक रेखा में नौ देवताओं का वास होता है. जी हाँ और इस प्रकार त्रिपुंड में कुल 27 देवतागण वास करते हैं. आप सभी को बता दें कि भगवान शिव को लगाए जाने वाले त्रिपुंड को अक्सर शिवभक्त प्रसाद स्वरूप अपने माथे पर धारण करते हैं. जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि त्रिपुंड को प्रसाद स्वरूप लगाने पर साधक पर शिव कृपा हमेशा बनी रहती है और उसे जीवन में किसी भी प्रकार के भय, भूत या बाधा आदि का खतरा नहीं रहता है. वहीं त्रिपुंड के प्रभाव से उसके जीवन में शुभता और सफलता कायम रहती है और उसके आस-पास भूले से भी नकारात्मक ऊर्जा कभी नहीं आती.
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