इस मंदिर में लाल मिर्च से होता है हवन
आज तक आप सभी ने कई मंदिरों के बारे में सुना होगा. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ लाल मिर्च से हवन होता है. जी हाँ, दरअसल हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ राज्य का डोंगरगढ़ मंदिर की, जहाँ मां विमलेश्वरी मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को हज़ार से भी ज्यादा सीढियां चढ़नी पड़ती हैं. आपको बता दें कि इस मंदिर में सालभर ही भक्तों की भीड़ रहती है लेकिन नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर की रौनक अलग ही मानी जाती है. जी दरअसल इस जिले के राजा कामसेन को संगीत और कला बहुत पसंद थी और उनके दरबार में कामकंदला नाम की एक बहुत ही सुंदर और अपनी कला में निपुण नर्तकी थी. कहा जाता है उसके साथ जुगत बैठाने वाला एक संगीतकार था जिसका नाम माधवानल था.
वहीं साथ काम करते-करते दोनों के बीच प्रेम हो गया था और जब राजा को ये बात पता चली तो उसने माधवानल को राज्य से बाहर निकलवा दिया. उसके बाद माधवानल उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की शरण में पहुंच गए और उसने राजा विक्रमादित्य से कामकंदला से मिलने के लिए मदद मांगी. कहा जाता है राजा विक्रमादित्य ने राजा कामसेन को संदेश भेजा कि वो दोनों प्रेमियों को मिलने की अनुमित दें उसके बाद कामसेन के इनकार करने पर दोनों राजाओं के बीच युद्ध छिड़ गया. कहा जाता है दोनों ही राजा वीर योद्धा थे और एक महाकाल का भक्त था तो दूसरा मां विमला का.
ऐसे में दोनों के बीच युद्ध होते देख महाकाल और मां विमला भी अपने भक्तों की मदद करने लगे और युद्ध को भयंकर रूप लेते देख दोनों राजाओं के ईष्ट देवताओं ने कामकंदला और माधवानल का मिलन करवा दिया. वहीं उसके बाद राजा विक्रमादित्य ने मां विमलेश्वरी से पहाड़ी में प्रतिष्ठित होने का निवेदन किया और बस तभी से यहां पर मां विमलेश्वरी मंदिर स्थित है और मां स्थानीय लोगों की अधिष्ठात्री देवी हैं. आपको बता दें कि मां विमलेश्वरी मंदिर में हवन की विधि भी बहुत अलग है. जी दरअसल यहां पर हवन सामग्री में लाल मिर्च का प्रयोग किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि लाल मिर्च शत्रुओं का नाश करती है इसलिए यहां पर हवन सामग्री में लाल मिर्च का प्रयोग किया जाता है ताकि हवन करवाने वाले व्यक्ति के सभी शत्रुओं का नाश हो जाए.
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