इन्दौरी तड़का : हाँ भिया पुराने सूटर में पैसे वैसे मिले की नी
हाँ बड़े अब तो सबके सूटर, शाल बाहर आ गए होंगे। मतलब सब के सब अपने घर में सूटर, शाल निकाल के ओढ़ आढ़ के बैठ गए होंगे। बड़े ये तो हुई बात निकालने की अब ये बताओ किस किस के सूटर, शाल में पैसे निकले है बड़े जिस जिस के इसमें से निकले है वो पोच जाओ बाजार सामना खरीदने को। मतलब वो नी जिनकी जेब में एक या दो रुपए निकले है वो जाओ जिनकी जेब में 500 से लेके 1000 तक की नोट निकली हो। जिस जिस को मिल गई होगी उनकी तो वह हो गई होगी है ना। मतलब कसम से भोत भेंकर वाली ख़ुशी का सहसास हो जाता है जब कोई पुराने कपडे या सूटर में से पैसे निकल जाते है मतलब उस ख़ुशी की तो बात ही मत करो वो तो उन्ही को नसीब होती है जो पैसे वाले होते है हम गरीबो का क्या हमको तो हमारी सूटर बिना चूहे की कतरन के मिल जाए वोई हमारे लिए भोत बड़ी बात होएंगी।
बड़े कसम से अपने इंदौर में चूहों का भोत खौफ है मजाल एक बी कपडा इनकी कतरन से बच पाया हो। मतलब हम इनोड्रे वालो की तो सूटर में या तो मटर के दाने मिलेंगे या फिर चूहे की कतरन या फिर उनकी पोट्टी।
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