इन्दौरी तड़का : अब बच्चो को फिर से स्कूल की मगजमारी झेलनी पड़ेगी यार
Indori Tadka : हाँ भइया अब तो बच्चो के स्कूल फिर से शुरू हो गए। बेचारे फिर से वाई स्कूल फिर से वई पढ़ाई। बच्चो के मन की बात तो यई है की कबि स्कूल जाना ही ना पड़े घर पे रहें घूमो फ़िरों और ऐश करों कोई टेंशन ही नई रखो। लेकिन ऐसा कबि हुआ ही है जो होगा स्कूल तो जाना ही पड़ेगा चाहे कुछ बी कर लो। हर बच्चे को स्कूल जाना ही पड़ता है चाहे वो कित्ता बी ना ना कर ले। बड़े शुरुआत ही ज़िंदगी की स्कूल से है स्कूल ही है जो सबसे जरुरी हिस्सा है अपन सबकी ज़िंदगी की। कुछ बच्चे तो रो रो के स्कूल जा रिए होंगे क्यूंकि उनको पेली बार पोहचा रे हो। और कुछ इस ख़ुशी में जा रिए होंगे की अब नई क्लास, नए दोस्त, नया सब कुछ और कुछ ऐसे भयंकर वाले बच्चे होंगे जो ये सोचकर जाएंगे की स्कूल में कोई तो नया एडमिशन होवेगा या कोई नए टीचर तो आएँगे।
मतलब आजकल के बच्चों को तो अपन सभी जानते ही है कैसे कैसे भयंकर वाले है अब के सब। कोई को पढ़ने से मतलब नी है सब लप्पासी करने जाते है बस मस्ती होना बाकी तो सब निपट ही लेंगे। भिया आजकल के बच्चे ऐसे ही है कोई सब स्कूल जाने में अब तो रोते बी नी है ख़ुशी से जाते है और ख़ुशी से ही आते है। टीचर इनको जरा सा बोल दें तो समझो टीचर ही गए। इनका तो कुछ होना ही ना है। आजकल की जनरेश है ही ऐसी, और फिर अपना इंदौर इसकी तो बात ही निराली है। यहाँ के बच्चे मतलब की दाऊद समझ गए ना।
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