सावन में क्यों होती है कांवड़ यात्रा
आज के समय में कई बातें हैं जिनके पीछे कुछ ना कुछ लॉजिक होता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं क्यों होती है कांवड़ यात्रा. आप सभी ने देखा ही होगा अपने देश में कांवड़ यात्रा का खास महत्व है. जी दरअसल हर साल लाखों श्रद्धालु पैदल हरिद्वार से गंगाजल लेकर देश के कोन-कोने में जाते हैं और शिवलिंग को गंगाजल अर्पित करते हैं. जी दरअसल ऐसा भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए करते हैं. वहीं आप जानते ही होंगे कांवड यात्रा सावन से शुरू होती है और इस बार सावन 6 जुलाई से शुरू हो चुका है. वहीं कोरोना महामारी के कारण सरकार ने कांवड यात्रा को रद्द कर दिया है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं क्यों होती है कांवड़ यात्रा.
क्यों होती है कांवड़ यात्रा
जी दरअसल सावन में हर साल लाखों कांवड़िए हरिद्वार जाते हैं और कांवड़ में गंगाजल भरकर पैदल यात्रा शुरू करते हैं. ऐसे में कांवड़िये अपने कांवड़ में जो गंगाजल भरते हैं, उससे सावन की चतुर्दशी पर भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है.
जी दरअसल ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से विष निकला था, जिसे जगत कल्याण के लिए भगवान शंकर ने पी लिया था, जिसके बाद भगवान शिव का गला नीला पड़ गया और तभी से भगवान शिव नीलकंठ कहलाने लगे. वहीं उस समय भगवान शिव के विष का सेवन करने से दुनिया तो बच गई, लेकिन भगवान शिव का शरीर जलने लगा. उसी दौरान देवताओं ने उन पर जल अर्पित करना शुरू कर दिया और उस जल से उनका शरीर जलने से राहत पाया. बस उसी के बाद से मान्यता के तहत कांवड़ यात्रा शुरू हुई.
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